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2024-25 में भारत का चीनी उत्पादन 262 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद

भारत का चीनी उत्पादन 2024-25 के दौरान करीब 261 से 262 लाख टन के बीच रहने की संभावना है। यह अनुमान भारतीय चीनी एवं जैव ऊर्जा उत्पादक संघ (ISMA) द्वारा जारी किया गया है। 15 मई तक देश में 257.44 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है और आने वाले विशेष पेराई सत्र से लगभग 4-5 लाख टन अतिरिक्त चीनी मिलने की उम्मीद है।

बफर स्टॉक बना रहेगा स्थिरता का आधार

सीजन की शुरुआत में देश के पास 80 लाख टन चीनी का स्टॉक था। इसमें से 280 लाख टन की अनुमानित घरेलू खपत और 9 लाख टन के निर्यात के बाद, 52 से 53 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक सीजन के अंत तक शेष रहने की उम्मीद है। यह बफर स्टॉक देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है।

एथनॉल उत्पादन के लिए चीनी डायवर्जन

चीनी उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अब एथनॉल निर्माण के लिए डायवर्ट किया जा रहा है। 30 अप्रैल 2025 तक लगभग 27 लाख टन चीनी को एथनॉल बनाने के लिए प्रयोग किया गया है। आगामी महीनों में और 6-7 लाख टन चीनी एथनॉल के लिए डायवर्ट किए जाने की संभावना है। यह प्रक्रिया ऊर्जा सुरक्षा और इथेनॉल ब्लेंडिंग लक्ष्य की दिशा में मददगार साबित हो रही है।

अभी भी जारी है पेराई सत्र कुछ राज्यों में

वर्तमान में देश की दो चीनी मिलें तमिलनाडु में सक्रिय हैं, जहां पेराई का मुख्य सत्र अभी भी चल रहा है। इसके अतिरिक्त, जून से सितंबर के बीच दक्षिण कर्नाटक और तमिलनाडु में एक विशेष पेराई सत्र शुरू होगा। इससे और 4 से 5 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना जताई जा रही है।

2025-26 चीनी सीजन के लिए सकारात्मक संकेत

अच्छे मानसून से बढ़ेगी गन्ना पैदावार

आने वाला 2025-26 का चीनी सीजन भी उम्मीदों से भरा हुआ दिख रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और निजी एजेंसी स्काइमेट के अनुसार, इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है। इसका सीधा असर गन्ना फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता पर पड़ेगा।

दक्षिणी राज्यों में बेहतर गन्ना रोपण

महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में गन्ना रोपण में सुधार देखा गया है, जो मानसून की अच्छी स्थिति का परिणाम है। इससे अक्टूबर 2025 में समय पर पेराई सत्र शुरू होने की संभावना मजबूत हो गई है।

उत्तर भारत में नई किस्मों का असर

उत्तर भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश में गन्ने की नई किस्मों की खेती के चलते शक्कर निकासी दर और उपज में वृद्धि देखी जा रही है। इससे क्षेत्रीय चीनी मिलों की दक्षता भी बढ़ेगी और उत्पादन में संतुलन बना रहेगा।

भारत का चीनी क्षेत्र: आर्थिक संतुलन का महत्वपूर्ण आधार

घरेलू मांग और निर्यात के बीच संतुलन

भारत के चीनी उद्योग ने घरेलू मांग, निर्यात और एथनॉल उत्पादन के बीच एक मजबूत संतुलन बनाया है। 2024-25 सीजन में 9 लाख टन चीनी का निर्यात अनुमानित है, जो वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को और मजबूत करता है।

ऊर्जा क्षेत्र के लिए एथनॉल उत्पादन का बढ़ता महत्व

एथनॉल उत्पादन न केवल चीनी उद्योग को आर्थिक मजबूती देता है, बल्कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। सरकार की 20% इथेनॉल ब्लेंडिंग योजना के तहत, इस डायवर्जन की भूमिका बहुत अहम बनती जा रही है।

मूल्य स्थिरता और उपभोक्ता हित

बफर स्टॉक बनाए रखने से चीनी के खुदरा मूल्य में स्थिरता रहती है। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलती है और मिलों को भी समय पर भुगतान करने की सुविधा मिलती है।

क्या आगे और वृद्धि होगी चीनी उत्पादन में?

यदि मानसून अनुकूल रहा और गन्ना उत्पादन में कोई रुकावट नहीं आई, तो 2025-26 में भारत का चीनी उत्पादन और अधिक हो सकता है। ISMA और अन्य उद्योग संगठनों का मानना है कि अगले सीजन में उत्पादन लक्ष्य 270-275 लाख टन तक पहुंच सकता है।

भारत का चीनी उत्पादन 2024-25 में न केवल निर्धारित लक्ष्य तक पहुंच रहा है, बल्कि संतुलित खपत, एथनॉल निर्माण और निर्यात के जरिये यह उद्योग एक सशक्त आर्थिक क्षेत्र के रूप में सामने आया है। आने वाला सीजन भी मजबूत संकेत दे रहा है, जिसमें बेहतर मानसून और कृषि सुधारों के चलते भारत दुनिया के अग्रणी चीनी उत्पादक देशों में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।

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