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म्यांमार पर भारत और संयुक्त राष्ट्र की अहम बातचीत, विदेश मंत्री जयशंकर ने जूली बिशप से की मुलाकात

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत जूली बिशप से नई दिल्ली में मुलाकात की। इस बैठक में म्यांमार की जटिल स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने सीमा सुरक्षा, शरणार्थी स्थिति, अंतरराष्ट्रीय अपराध और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी।

बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए कहा,

“दिल्ली में म्यांमार पर UN महासचिव की विशेष दूत जूली बिशप से मिलकर खुशी हुई। हमने म्यांमार सीमा स्थिरता, शरणार्थी स्थिति, अंतरराष्ट्रीय अपराध और आर्थिक सहयोग पर विचार-विमर्श किया। साथ ही राजनीतिक स्थिति पर भी चर्चा की।”

जूली बिशप: म्यांमार के लिए UN की विशेष दूत

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री जूली बिशप को अप्रैल 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने म्यांमार के लिए विशेष दूत नियुक्त किया था। उनका मुख्य उद्देश्य म्यांमार में चल रहे राजनीतिक संकट को सुलझाने में कूटनीतिक माध्यमों से सहयोग देना और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।

भारत के साथ उनकी यह पहली आधिकारिक बैठक थी, जिसमें उन्होंने भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।

भारत-म्यांमार संबंध: भौगोलिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

भारत और म्यांमार की साझा सीमा लगभग 1,643 किलोमीटर लंबी है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ती है। इस सीमा से जुड़े कई संवेदनशील मुद्दे हैं:

  • शरणार्थियों की बढ़ती संख्या
  • सीमा पार अपराध और तस्करी
  • अशांत राजनीतिक हालात का प्रभाव

इन सभी विषयों पर भारत का सक्रिय सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए बेहद जरूरी माना जाता है।

शरणार्थी और मानवीय मुद्दे भी रहे केंद्र में

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और नागरिक संघर्ष के चलते हजारों लोग भारत के मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों में शरण ले चुके हैं। इन शरणार्थियों की स्थिति, उनके मानवाधिकार और सुरक्षा को लेकर भी बातचीत में गंभीर चर्चा हुई।

संयुक्त राष्ट्र और भारत ने इस बात पर सहमति जताई कि शरणार्थियों की सहायता के लिए मानवीय सहायता और नीति-स्तरीय समर्थन जरूरी है।

सीमा पर अंतरराष्ट्रीय अपराध और सुरक्षा चिंता

बैठक में म्यांमार से सटी भारतीय सीमा पर बढ़ते ड्रग्स तस्करी, हथियारों की आवाजाही और मानव तस्करी जैसे अपराधों पर भी बात हुई। एस. जयशंकर ने इन मामलों में सख्त निगरानी और सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।

आर्थिक सहयोग और व्यापार पर भी हुई चर्चा

दोनों पक्षों ने भारत-म्यांमार आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने पर भी चर्चा की। खास तौर पर फरवरी 2025 में हुई बातचीत के आधार पर:

  • दवा, दाल और बीन्स के व्यापार को बढ़ाने
  • पेट्रोलियम उत्पादों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने
  • और रुपया-क्यात व्यापार निपटान तंत्र के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।

इससे स्थानीय व्यापारियों और दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिल सकता है।

राजनीतिक स्थिति पर भी हुआ मंथन

म्यांमार की राजनीतिक स्थिति पर भी दोनों नेताओं ने गहन चर्चा की। लोकतंत्र की बहाली, सिविल समाज की भागीदारी और शांतिपूर्ण समाधान की प्रक्रिया पर भी सहमति बनी कि सभी पक्षों को शामिल कर संवाद और समन्वय के रास्ते तलाशने होंगे।

भारत की भूमिका क्यों है महत्वपूर्ण?

भारत की भौगोलिक निकटता, सांस्कृतिक संबंध, सुरक्षा हित, और आर्थिक साझेदारी उसे म्यांमार संकट में एक प्रमुख भागीदार बनाते हैं। साथ ही भारत ने हमेशा संप्रभुता और क्षेत्रीय स्थिरता को प्राथमिकता दी है।

संयुक्त राष्ट्र भी भारत की विचारशील और संतुलित नीति की सराहना करता है, जो क्षेत्रीय समाधान की दिशा में सहायक हो सकती है।

जयशंकर और जूली बिशप की यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि भारत और संयुक्त राष्ट्र मिलकर म्यांमार संकट का हल तलाशना चाहते हैं। सीमा स्थिरता से लेकर शरणार्थियों की स्थिति, अंतरराष्ट्रीय अपराध से लेकर आर्थिक सहयोग तक — हर मुद्दे पर बातचीत और सहयोग की जरूरत है।

यह मुलाकात भविष्य के लिए सकारात्मक दिशा तय कर सकती है, जहाँ भारत अपनी कूटनीतिक ताकत और क्षेत्रीय समझदारी के साथ एक सक्रिय भागीदार बना रहेगा।

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