भारतीय कॉटन यार्न उद्योग में दिख रही मजबूती, निर्यात और घरेलू मांग से 2025 में तेज़ी की उम्मीद
“भारतीय कॉटन यार्न उद्योग वर्ष 2025 में तेज़ रफ्तार से आगे बढ़ने की संभावना जता रहा है। क्रिसिल की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, यह इंडस्ट्री चालू वित्त वर्ष में 7-9 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। इस विकास का प्रमुख कारण निर्यात में पुनः उछाल और घरेलू स्तर पर स्थिर मांग है।“
पिछले वर्ष की तुलना में यह वृद्धि कहीं अधिक मानी जा रही है, क्योंकि वित्त वर्ष 2024 में यह वृद्धि केवल 2-4 प्रतिशत थी। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते वॉल्यूम और स्थिर कीमतों ने इस वृद्धि की नींव रखी है।
यार्न की कीमतों में स्थिरता ने बढ़ाया लाभ
भारतीय कॉटन यार्न उद्योग में ऑपरेटिंग मार्जिन में सुधार देखा जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष ऑपरेटिंग मार्जिन में 50-100 आधार अंकों की वृद्धि हो सकती है। इसका श्रेय भारतीय कपास निगम (CCI) द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे स्थिर और गुणवत्ता वाले कपास को दिया गया है।
क्रिसिल रिपोर्ट के निष्कर्ष
यह विश्लेषण 70 बड़े कॉटन यार्न स्पिनरों के प्रदर्शन पर आधारित है। ये स्पिनर भारत के कुल कॉटन यार्न उद्योग की 35-40 प्रतिशत आय में योगदान करते हैं। इस समूह की स्थिरता और प्रदर्शन से पूरे उद्योग के रुझान को समझा जा सकता है।
2025 में चीन को निर्यात बढ़ने की संभावना
पिछले वित्त वर्ष में भारत से चीन को कॉटन यार्न निर्यात में गिरावट आई थी। इसका कारण चीन में स्वयं के उत्पादन में वृद्धि था, जिससे भारत के कुल यार्न निर्यात में 5-7 प्रतिशत की कमी आई थी।
हालांकि, क्रिसिल रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कॉटन यार्न उद्योग के लिए वर्ष 2025 में स्थिति बदलने की पूरी संभावना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन को निर्यात में 9-11 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इससे भारतीय स्पिनरों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।
निर्यात का बढ़ता योगदान
उद्योग की कुल आय में निर्यात का योगदान करीब 30 प्रतिशत है। इस निर्यात में चीन की हिस्सेदारी लगभग 14 प्रतिशत है। चीन में यदि मांग बढ़ती है, तो इसका सीधा लाभ भारतीय उद्योग को मिलेगा। यह स्थिति भारतीय कॉटन यार्न को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक स्थिरता प्रदान करेगी।
स्थिर घरेलू मांग बनी रहेगी मुख्य आधार
घरेलू बाज़ार में भी कॉटन यार्न की मांग मजबूत बनी हुई है। कपड़ा उद्योग में सुधार और परिधान क्षेत्र में बढ़ती खपत ने स्पिनरों को राहत दी है। इसके साथ-साथ घरेलू उपभोक्ताओं के लिए स्थिर मूल्य पर यार्न की उपलब्धता ने उत्पादन को संतुलित बनाए रखा है।
CCI की खरीद नीति से राहत
भारतीय कपास निगम (CCI) की ओर से की जा रही स्थिर और सुव्यवस्थित खरीद प्रक्रिया से कॉटन की उपलब्धता में कोई बाधा नहीं आ रही है। इससे उद्योग को निरंतर कच्चा माल मिल पा रहा है, जो उत्पादन में व्यवधान से बचाव करता है।
2025 के कपास सीजन में, CCI की सक्रिय भागीदारी से इन्वेंट्री घाटे को भी नियंत्रित किया जा सकेगा, जिससे उत्पादन लागत पर नियंत्रण बना रहेगा।
स्पिनरों की आय और मुनाफे में वृद्धि
स्पिनरों के लिए यह वित्त वर्ष लाभकारी हो सकता है। क्रिसिल के अनुसार, 2024 में मुनाफे में 100-150 बीपीएस की रिकवरी देखने को मिली थी। 2025 में इसमें और 50-100 बीपीएस की वृद्धि संभव है।
यह बढ़त स्थिर मांग, बेहतर इन्वेंट्री प्रबंधन और उचित मूल्य निर्धारण की नीति का परिणाम है।
विशेषज्ञ की राय
क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक गौतम शाही ने बताया कि “भारतीय स्पिनरों को चालू कॉटन सीजन में स्थिर घरेलू कपास उत्पादन का लाभ मिलेगा। इससे वे अपनी बाज़ार हिस्सेदारी पुनः हासिल कर सकेंगे।”
उनका मानना है कि निर्यात और घरेलू मांग का संतुलन बनाए रखना उद्योग की मजबूती का मुख्य कारण है।