भारतीय निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर बहस: आरोप, साक्ष्य और लोकतंत्र की सच्चाई
“भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण लोकतंत्र में चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जनता की राजनीतिक जागरूकता और संवैधानिक सहभागिता का त्योहार हैं। इस प्रक्रिया की धुरी है — भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI)।“
हाल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र चुनावों में धांधली के आरोप लगाए गए, जिससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर बहस छिड़ गई। हालांकि आयोग ने इसे गंभीरता से लिया और औपचारिक शिकायत की मांग की। इस लेख में हम इसी बहस को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे।
भारतीय निर्वाचन आयोग की संवैधानिक स्थिति
अनुच्छेद 324 के अंतर्गत गठित ECI एक स्वतंत्र और स्वायत्त संस्था है, जो किसी भी चुनावी प्रक्रिया के संचालन में कार्यपालिका से स्वतंत्र है।
- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं
- उन्हें कार्यकाल की सुरक्षा और स्वतंत्र निर्णय लेने का संवैधानिक अधिकार है
- आयोग केवल निष्पक्ष चुनाव ही नहीं, बल्कि राजनीतिक नैतिकता को भी दिशा देता है
EVM और VVPAT: पारदर्शिता की गारंटी
- 2019 के लोकसभा चुनाव में 17 लाख से अधिक VVPAT मशीनों का उपयोग हुआ
- हर विधानसभा क्षेत्र में VVPAT और EVM का मिलान किया गया
- इससे मतदाताओं का भरोसा और निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ी
चुनावी खर्च पर निगरानी
- ECI ने Flying Squads और Expenditure Monitoring Teams तैनात कीं
- 2019 में 3,475 करोड़ रुपये की अवैध वस्तुएं जब्त की गईं
- चुनाव में गिफ्ट, शराब और नकदी के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की गई
SVEEP: मतदाता जागरूकता में अनोखी पहल
SVEEP (Systematic Voters’ Education and Electoral Participation) के ज़रिए आयोग ने:
- ग्रामीण और शहरी मतदाताओं को लोकतंत्र से जोड़ा
- 2019 में भारत का वोट प्रतिशत 67.4% तक पहुंचा
- इससे भारत दुनिया के सबसे जागरूक लोकतंत्रों में शुमार हो गया
राजनीतिक आरोप बनाम साक्ष्य
राजनीति में आलोचना और सवाल लोकतंत्र की खूबी हैं, लेकिन बिना प्रमाण के आरोप:
- संस्थाओं पर अनावश्यक अविश्वास को जन्म देते हैं
- जनता में भ्रम और अस्थिरता का कारण बनते हैं
- राहुल गांधी द्वारा आरोप लगाने के बावजूद कोई औपचारिक शिकायत नहीं दी गई
- चुनाव आयोग ने उन्हें ईमेल कर तथ्यों की मांग की और बातचीत का न्योता भी दिया
वैश्विक स्तर पर भारत का निर्वाचन मॉडल
- संयुक्त राष्ट्र और Harvard Kennedy School जैसे संस्थानों ने भारत की चुनावी प्रणाली को विश्व की श्रेष्ठतम संस्थाओं में बताया है
- 2014 और 2019 के आम चुनावों को दुनिया भर में शांतिपूर्ण, तकनीकी और समावेशी चुनाव का उदाहरण माना गया
तकनीकी पहलें: पारदर्शिता को नई उड़ान
- cVIGIL ऐप: आम नागरिक चुनावी उल्लंघनों की रिपोर्ट कर सकते हैं
- KYC आधारित मतदाता पंजीकरण: फर्जी वोटिंग पर नियंत्रण
- ई-ईपीआईसी कार्ड और डिजिटल नामांकन जैसे नवाचार
लोकतंत्र पर भरोसा बनाएं रखें
चुनाव आयोग पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन तथ्यों और प्रक्रिया के तहत।
जब तक संस्थाओं पर भरोसा बना रहेगा, लोकतंत्र मजबूत रहेगा।
जब संस्थाओं पर राजनीति हावी होगी, तो लोकतंत्र कमजोर होगा।
भारतीय निर्वाचन आयोग ने बार-बार यह दिखाया है कि वह केवल सरकारी संस्था नहीं, बल्कि लोकतंत्र का प्रहरी है। चुनाव आयोग पर प्रश्न उठाना उचित है, लेकिन निर्दोष संस्थानों को निशाना बनाना खतरनाक चलन है।
इसलिए, हमें चाहिए कि:
- लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करें
- आलोचना तथ्यों के आधार पर करें
- जन-विश्वास को टूटने न दें