पूर्वोत्तर भारत में विकास और निवेश की नई राहें: 80 देशों के राजनयिकों की भागीदारी से खुलेंगे अवसर
“नई दिल्ली में मंगलवार को एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पूर्वोत्तर भारत में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 80 से अधिक देशों के राजदूत, उच्चायुक्त और राजनयिक शामिल हुए। यह बैठक पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (MDONER) द्वारा आयोजित की गई थी। इस पहल का उद्देश्य न केवल इस क्षेत्र की अकूत संभावनाओं को प्रदर्शित करना था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना भी था।“
पूर्वोत्तर भारत की रणनीतिक भूमिका
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने भाषण में इस क्षेत्र के भू-राजनीतिक और आर्थिक महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य पूर्वोत्तर को व्यापार, कनेक्टिविटी और नवाचार के केंद्र में परिवर्तित करना है।
“पूर्वोत्तर के प्रत्येक राज्य में विशेष संसाधन और क्षमताएं हैं जो भारत की विकास यात्रा में उसे एक अमूल्य संपत्ति बनाते हैं।”
प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता
पूर्वोत्तर भारत की पहचान उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और प्राकृतिक सुंदरता से भी है। यह क्षेत्र भारत की अष्टलक्ष्मी के रूप में प्रधानमंत्री मोदी की सोच का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य संतुलित और समावेशी विकास है।
इस क्षेत्र में:
- पर्वतीय दृश्य
- घने जंगल
- बहुरंगी संस्कृति
- दुर्लभ जैवविविधता
ये सभी पर्यटन और सतत विकास की अपार संभावनाएं प्रदान करते हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़ाव
पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक स्थिति इसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लिए प्रवेश द्वार बनाती है। भारत की “Act East Policy” के तहत यह क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अन्य देशों से आग्रह किया कि वे इस क्षेत्र की शिल्पकला, संसाधनों और कौशल का लाभ उठाकर निवेश के नए अवसरों को खोजें।
📹 विदेश मंत्री का दृष्टिकोण
एस. जयशंकर ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से पूर्वोत्तर भारत की कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट परियोजना का उल्लेख किया। यह परियोजना भारत को म्यांमार और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से जोड़ने का कार्य करेगी, जिससे व्यापारिक अवसर कई गुना बढ़ेंगे।
बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व विकास
राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने इस अवसर पर बताया कि कैसे पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में हवाई, सड़क और रेल कनेक्टिविटी में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा:
- नए एयरपोर्ट्स और रनवे बनाए गए हैं
- राजमार्गों का चौड़ीकरण किया गया है
- रेल नेटवर्क को उत्तर पूर्व तक विस्तारित किया गया है
इन परियोजनाओं से लॉजिस्टिक्स और व्यापार को बड़ी सुविधा मिल रही है।
पूर्वोत्तर भारत में निवेश के लिए उपयुक्त क्षेत्र
डॉ. मजूमदार ने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर भारत में कई क्षेत्रों में निवेश के अवसर हैं:
अंतरराष्ट्रीय रुचि और सहयोग
इस बैठक में भाग लेने वाले विदेशी राजदूतों और प्रतिनिधियों ने पूर्वोत्तर राज्यों की प्रस्तुतियों में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने भारत के स्थानीय हितधारकों के साथ साझेदारी की इच्छा जताई, जिससे क्षेत्र में विदेशी निवेश और तकनीकी सहयोग की संभावनाएं बढ़ गई हैं।