ईरान की संसद ने IAEA से सहयोग निलंबन का प्रस्ताव पेश किया, अमेरिका के हमलों की निंदा और हॉर्मुज बंद करने का समर्थन
“ईरान और पश्चिम एशिया एक बार फिर से गंभीर भू-राजनीतिक संकट के दौर में प्रवेश कर चुके हैं। ईरानी संसद ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) से सहयोग को निलंबित करने का विधेयक लाने की योजना बनाई है। यह फैसला अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों और आईएईए की कथित निष्क्रियता के जवाब में लिया गया है।“
संसद अध्यक्ष ने IAEA पर लगाए गंभीर आरोप
ईरान की संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाकेर कलीबाफ ने सोमवार को संसद सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि:
“ईरान का कोई गैर-शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधि का इरादा नहीं है, लेकिन IAEA अब एक राजनीतिक उपकरण बन चुका है। संस्था ने अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक ईरान को IAEA से पेशेवर आचरण को लेकर ठोस और भरोसेमंद गारंटी नहीं दी जाती, तब तक संसद सहयोग को निलंबित करने वाले विधेयक पर आगे बढ़ेगी।
फतवा का हवाला देकर शांतिपूर्ण मंशा स्पष्ट की
कलीबाफ ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के उस फतवे का हवाला दिया जिसमें परमाणु हथियारों का प्रयोग गैर-इस्लामी घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि ईरान का रुख पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पक्षपाती रवैया अपना रही हैं।
अमेरिका के हमलों को बताया सीधी सैन्य भागीदारी
ईरानी संसद अध्यक्ष ने अमेरिका की भूमिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा:
“ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले ईरान-इजराइल संघर्ष में उसकी सीधी सैन्य भागीदारी को दर्शाते हैं। यह एक उकसाने वाला कदम है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने अमेरिकी हमलों को इजरायल की रणनीतिक विफलता का नतीजा बताया और चेतावनी दी कि:
“इस हमले का ऐसा जवाब दिया जाएगा कि जुआ खेलने वाले ट्रंप को पछताना पड़ेगा।”
अब तक 400 से अधिक मौतें, 3,500 घायल
ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हालिया हमलों में अब तक 400 से अधिक लोग मारे गए हैं और 3,500 से अधिक घायल हुए हैं। इनमें नागरिक, वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी शामिल हैं। इसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन से जवाबी हमला किया है।
हॉर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने के प्रस्ताव को संसद का समर्थन
एक और बड़ा कदम उठाते हुए, ईरानी संसद ने हॉर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को समर्थन दिया है। यह दुनिया के सबसे अहम तेल परिवहन मार्गों में से एक है, जहां से वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 20% गुजरता है।
हालांकि, यह निर्णय अभी संसद का एक प्रस्ताव मात्र है। इसे लागू करने का अधिकार सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल और सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खामेनेई के पास है।
वैश्विक ऊर्जा बाजार पर पड़ेगा गहरा असर
अगर यह प्रस्ताव अमल में लाया गया तो इससे:
- तेल की वैश्विक कीमतों में तेज उछाल आ सकता है
- मध्य-पूर्व में सैन्य टकराव की आशंका बढ़ेगी
- अंतरराष्ट्रीय नौवहन और व्यापार पर असर पड़ेगा
IAEA और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया क्या हो सकती है?
IAEA की भूमिका पर सवाल उठाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन ईरान द्वारा सहयोग को निलंबित करने की धमकी सीधे तौर पर परमाणु निगरानी व्यवस्था को चुनौती देती है। इससे न केवल ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पारदर्शिता घटेगी, बल्कि अन्य देश भी इसी राह पर चल सकते हैं।
अमेरिका और सहयोगियों की प्रतिक्रिया की संभावना
- अमेरिका शायद इस विधेयक को कूटनीतिक दबाव के तौर पर देखेगा
- संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ से तीखी प्रतिक्रिया आ सकती है
- IAEA अपने बयान में ईरान को फिर से सहयोग बहाल करने का अनुरोध कर सकता है
ईरान का अगला कदम क्या हो सकता है?
- यदि संसद विधेयक पारित करती है, तो IAEA के निरीक्षकों की गतिविधियों को सीमित या रोका जा सकता है
- ईरान संभवतः अपने परमाणु कार्यक्रम पर पारदर्शिता कम करेगा
- अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ तनाव और बढ़ सकता है
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा
इस पूरे घटनाक्रम से:
- मध्य-पूर्व में सैन्य टकराव का खतरा बढ़ा है
- वैश्विक तेल आपूर्ति पर संकट मंडरा रहा है
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है
ईरान IAEA सहयोग निलंबन की दिशा में बढ़ रहा है और इससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति, परमाणु सुरक्षा और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ सकता है। अगर समय रहते कूटनीतिक समाधान नहीं निकाला गया, तो यह संघर्ष एक व्यापक और दीर्घकालिक संकट में बदल सकता है।