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प्रधानमंत्री मोदी ने संत कबीर दास जयंती पर अर्पित की श्रद्धांजलि, बताया सद्भाव और आध्यात्म का प्रतीक

15वीं सदी के महान संत, कवि और समाज-सुधारक संत कबीर दास की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके सामाजिक समरसता के संदेश को दोहराया। उन्होंने बुधवार को ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से संत कबीर के योगदान को याद किया और उन्हें सद्भाव, आध्यात्म और सामाजिक सुधार का प्रतीक बताया।

कबीर दास: जीवन, दर्शन और सामाजिक योगदान

कबीर दास कौन थे?

संत कबीर दास का जन्म 15वीं सदी में हुआ था। वे एक रहस्यवादी कवि, संत और समाज सुधारक थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन को नई दिशा दी। वे हिंदू और मुस्लिम दोनों के धार्मिक ढांचों से परे थे, और उन्होंने ईश्वर की एकता, जातिवाद की निरर्थकता, और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई।

संत कबीर दास का जीवन और संदेश

प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि और भाव

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा:

“सामाजिक समरसता के प्रति आजीवन समर्पित रहे संत कबीरदास जी को उनकी जयंती पर मेरा कोटि-कोटि नमन। उनके दोहों में जहां शब्दों की सरलता है, वहीं भावों की प्रगाढ़ता भी है। इसलिए आज भी भारतीय जनमानस पर उनका गहरा प्रभाव है।”

यह संदेश केवल श्रद्धांजलि नहीं बल्कि कबीर की शिक्षाओं की आज की प्रासंगिकता को भी दर्शाता है।

कबीर दास की प्रमुख शिक्षाएँ और दोहे

1. ईश्वर की एकता

कबीर कहते थे:

“एक ही ज्योंती सबमें बसे, एक ही प्राण समाना।”

इसका अर्थ है, हर व्यक्ति में एक ही ईश्वर है। कोई ऊँच-नीच नहीं, सब बराबर हैं।

2. धार्मिक रूढ़ियों पर प्रहार

“माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका छोड़ के, मन का मनका फेर॥”

कबीर ने आडंबर, ढकोसले और पाखंड के खिलाफ सीधी बात कही।

3. आत्मा की पवित्रता पर जोर

उनका मानना था कि ईश्वर तक पहुँचने के लिए स्वच्छ मन, सच्चे कर्म और सच्चा भाव ज़रूरी है, न कि बाहरी पूजा विधियों का दिखावा।

कबीर की कविताओं का भक्ति आंदोलन में योगदान

भक्ति आंदोलन ने भारत के आध्यात्मिक और सामाजिक परिदृश्य को बदला। कबीर इसके प्रमुख स्तंभों में से एक थे। उन्होंने:

  • आम जनता की भाषा में आध्यात्मिक संदेश दिए
  • जाति, धर्म, वर्ग के बंधनों को तोड़ा
  • मानवता को धर्म से ऊपर रखा

आज के संदर्भ में कबीर की प्रासंगिकता

1. सांप्रदायिक सौहार्द की जरूरत

कबीर का संदेश आज के समय में धार्मिक सहिष्णुता और मानवता की आवश्यकता को बल देता है। उनके उपदेश आधुनिक समाज में एकता और भाईचारे का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

2. सामाजिक समरसता और समता

वे जातिवाद, वर्गवाद और सामाजिक असमानता के खिलाफ थे। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में भी यह भावना झलकती है कि कबीर की सोच आज के नए भारत की नींव बन सकती है।

कबीर ग्रंथावली और बीजक

कबीर की प्रमुख रचनाएं:

  • बीजक (मुख्य संग्रह, विशेष रूप से कबीरपंथियों में प्रसिद्ध)
  • कबीर साखी संग्रह
  • कबीर दोहे
  • इन रचनाओं को हिंदी साहित्य का अमूल्य खजाना माना जाता है

उनकी कविता लौकिक भाषा, सरल शब्दों और गहन आध्यात्मिकता के लिए प्रसिद्ध है।

सरकारी स्तर पर कबीर को सम्मान

भारत सरकार और राज्य सरकारें हर वर्ष कबीर जयंती पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करती हैं:

  • कबीर स्मारक स्थलों का विकास
  • कबीर मेले
  • शैक्षिक संस्थानों में संगोष्ठियाँ
  • कबीर साहित्य को पाठ्यक्रमों में शामिल करना

भारत के संत परंपरा में अमिट स्थान

संत कबीर दास केवल एक संत नहीं थे, वे विचारों की क्रांति के वाहक थे। उनकी शिक्षाएं आज भी नई पीढ़ी के लिए पथप्रदर्शक हैं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दी गई श्रद्धांजलि इस बात को और मजबूती देती है कि कबीर का जीवन दर्शन ‘नए भारत’ के निर्माण में उपयोगी है।

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