NationalNews

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स पर पीएम मोदी की चादर, दरगाह पर परंपरा और भाईचारे की मिसाल

“राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर 813वें उर्स का शुभारंभ बुधवार को चांद दिखने के साथ हुआ। यह उर्स ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं और सूफी परंपराओं के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर दरगाह के लिए चादर भेजी। यह 11वीं बार है जब पीएम मोदी की ओर से चादर अजमेर भेजी गई।”

पीएम मोदी की चादर और संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चादर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को सौंपी। यह चादर अजमेर दरगाह में पेश की जाएगी। प्रधानमंत्री हर साल चादर के साथ देश के नाम एक संदेश भेजते हैं, जिसमें अमन, चैन, और भाईचारे की दुआ की जाती है।

उर्स की शुरुआत और परंपराएं

813वें उर्स की शुरुआत बुधवार को चांद दिखने के साथ हुई। सूफी फाउंडेशन के चेयरमैन और दरगाह के गद्दीनशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने इस अवसर पर सभी को मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा, “ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स भाईचारे और शांति का संदेश देता है।”

झंडे की रस्म और गौरी परिवार की भूमिका

28 दिसंबर 2024 को दरगाह पर झंडे की रस्म पूरी की गई। यह परंपरा भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा निभाई जाती है। यह परंपरा 1928 में शुरू हुई थी, जिसे फखरुद्दीन गौरी के पूर्वजों ने शुरू किया। आज भी यह रस्म गौरी परिवार के द्वारा निभाई जाती है।

उर्स का ऐतिहासिक महत्व

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स हर साल उनके अनुयायियों और श्रद्धालुओं को शांति, एकता और भाईचारे का संदेश देता है। यह आयोजन न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों से, बल्कि दुनिया भर से आए लोगों को जोड़ता है।

813वें उर्स पर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर पीएम मोदी की चादर भेजने और भाईचारे का संदेश देने की परंपरा ने इस आयोजन को और खास बना दिया है। यह उर्स भारतीय संस्कृति और सूफी परंपरा के अद्भुत संगम का प्रतीक है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को जोड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *