विधायी बैठकों की घटती संख्या पर लोकसभा अध्यक्ष ने जताई चिंता
“लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी निकायों की बैठकों की घटती संख्या को एक गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने बिहार विधानसभा में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से इस समस्या के समाधान के लिए सक्रिय प्रयास करने का आग्रह किया।“
दिल्ली विधानसभा का उदाहरण
अपने संबोधन में ओम बिरला ने कहा कि दिल्ली विधानसभा ने अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल में केवल 74 बैठकें की हैं। यह आंकड़ा विधायी कार्यों की घटती प्रवृत्ति को दर्शाता है। उन्होंने संसद और राज्य विधानसभाओं में योजनाबद्ध व्यवधानों की निंदा करते हुए राजनीतिक दलों से सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की अपील की।
स्थायी समितियों की भूमिका पर जोर
लोकसभा अध्यक्ष ने निर्वाचित सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संसदीय स्थायी समितियों की भूमिका को बढ़ाने की वकालत की। उन्होंने कहा, “स्थायी समितियां छोटी संसद हैं और इनके कामकाज को और मजबूत करना समय की मांग है।”
सम्मेलन के प्रमुख बिंदु
बिहार विधानसभा के प्रांगण में स्पीकर ओम बिरला को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सम्मेलन में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव, बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित देशभर से आए पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात
सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। उन्होंने प्रगति यात्रा पर जाने से पहले इस मुद्दे पर चर्चा की।
सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील
लोकसभा अध्यक्ष ने सदन के अंदर व्यवधानों की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की और राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि विधायी कार्यों का सुचारू संचालन लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।