माता कर्मा की जयंती पर डाक टिकट विमोचन, समाजिक समरसता की प्रतीक बनीं प्रेरणास्रोत देवी
“छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मंगलवार को एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने माता कर्मा की 1009वीं जयंती के अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट का भव्य विमोचन किया। यह डाक टिकट भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी किया गया है जो माता कर्मा के आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान को दर्शाता है।“
मुख्यमंत्री ने कहा कि माता कर्मा का जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उन्होंने समाज को रूढ़िवाद और अस्पृश्यता से मुक्ति दिलाने के लिए जो योगदान दिया, वह आज भी प्रासंगिक है।
डाक टिकट में दर्शाई गई ऐतिहासिक झलक
इस विशेष डाक टिकट में माता कर्मा को भगवान श्रीकृष्ण को खिचड़ी भेंट करते हुए दर्शाया गया है। पृष्ठभूमि में पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की भव्य आकृति भी अंकित है, जिससे इस चित्र को एक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक संदर्भ मिलता है।
यह डाक टिकट अब भारत के सभी फिलेटली ब्यूरो और ऑनलाइन www.epostoffice.gov.in पर उपलब्ध है। इसके साथ फर्स्ट डे कवर (FDC) और सूचना विवरणिका भी जारी की गई है।
भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं माता कर्मा
माता कर्मा को भगवान कृष्ण की परम भक्त माना जाता है। उनके जीवन की सबसे उल्लेखनीय घटना वह थी जब वे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पुरी यात्रा पर गईं। मंदिर के सेवकों ने उनसे खिचड़ी बनाने का अनुरोध किया, जिसे भगवान ने प्रसन्न होकर स्वीकार किया।
आज भी यह परंपरा जगन्नाथ मंदिर के अनुष्ठानों में निभाई जाती है, जो माता कर्मा की भक्ति का स्थायी प्रमाण है।
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समरसता की प्रतीक
माता कर्मा का जीवन भक्ति, साहस और नि:स्वार्थ सेवा का प्रतीक रहा है। उन्होंने न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध भी आवाज उठाई। उनका योगदान महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उनकी शिक्षाएं आज के समय में भी सामाजिक समरसता, समानता और सद्भाव की प्रेरणा देती हैं।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का संदेश
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने लिखा:
“सामाजिक समरसता एवं महिला सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति, भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त, माता कर्मा देवी जी की 1009वीं जयंती पर @IndiaPostOffice द्वारा जारी स्मारक डाक टिकट उनके महान योगदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।”
उन्होंने माता कर्मा के जीवन को युगों-युगों तक प्रेरणा देने वाला बताया।
डाक टिकट: इतिहास को जोड़ने का एक साधन
भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी यह स्मारक डाक टिकट न केवल माता कर्मा की स्मृति को अमर करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम भी बनता है।
फिलेटली (डाक टिकट संग्रह) के माध्यम से लोग न केवल कला और संस्कृति को समझते हैं, बल्कि इतिहास के महत्वपूर्ण पात्रों और घटनाओं से भी जुड़ते हैं।
माता कर्मा की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
माता कर्मा का संदेश आज के समय में भी उतना ही आवश्यक है जितना उनके युग में था:
- समानता का संदेश – हर इंसान एक समान है, चाहे उसका जाति या वर्ग कोई भी हो
- सेवा की भावना – बिना स्वार्थ के समाज और धर्म की सेवा
- भक्ति और आस्था – बिना किसी दिखावे के ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास
डाक टिकट के माध्यम से माता कर्मा को श्रद्धांजलि देना एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सराहनीय कदम है। यह न केवल उनकी महानता और योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके जीवन से सीख लेने का प्रेरक माध्यम भी है।
छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय डाक विभाग का यह कदम आस्था, समरसता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास है। माता कर्मा की जयंती पर यह सम्मान निश्चित रूप से उनके नाम को युगों तक जीवित रखेगा।