NationalNews

भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 11 वर्षों की उपलब्धियाँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सांस्कृतिक पहचान को एक नई ऊर्जा मिली है। पिछले 11 वर्षों में देश ने परंपरा, आधुनिकता और वैश्विक जुड़ाव के संतुलन से अपनी सांस्कृतिक छवि को न केवल सुरक्षित रखा है, बल्कि उसे विश्वस्तर पर मान्यता भी दिलाई है।

प्राचीन मंदिरों और तीर्थ स्थलों का भव्य पुनरुद्धार

भारत की आध्यात्मिक विरासत को नया जीवन

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक उज्जैन, अयोध्या राम मंदिर, केदारनाथ धाम, जूना सोमनाथ मंदिर जैसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों का कायाकल्प किया गया।

यह कार्य सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहा है।

तीर्थयात्रा को सुलभ और सुरक्षित बनाने की दिशा में प्रयास

चारधाम परियोजना से लेकर करतारपुर कॉरिडोर तक

  • चारधाम हाईवे परियोजना ने उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों को सड़क मार्ग से जोड़ा।
  • हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना से सिख तीर्थयात्रियों को सुविधा मिली।
  • करतारपुर कॉरिडोर ने सीमा पार गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुंच आसान बनाई।

समावेशी दृष्टिकोण: हर धर्म के स्थलों का संरक्षण

प्रसाद योजना और विरासत संरक्षण की व्यापक नीति

प्रसाद योजना के तहत केवल मंदिर नहीं, बल्कि मस्जिदों, चर्चों और अन्य पूजा स्थलों का भी विकास किया गया। साथ ही स्वदेश दर्शन और हृदय योजना के तहत विरासत शहरों को सजाया और संवारा गया।

2024 में:

  • 9.66 मिलियन विदेशी पर्यटक भारत आए
  • ₹2,77,842 करोड़ की विदेशी मुद्रा आय हुई

भारत की खोई हुई धरोहरों की वापसी

विदेश से लौटाई गई ऐतिहासिक वस्तुएं

2014 के बाद से भारत को:

  • 642 प्राचीन वस्तुएं वापस मिलीं
  • इनमें से 578 केवल अमेरिका से लौटीं

इससे पहले, 2013 तक केवल 13 ही वस्तुएं वापस मिली थीं। यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।

राष्ट्र-निर्माताओं और बलिदानों को श्रद्धांजलि

स्मृति में जीवित किए गए भारत के वीर

  • प्रधानमंत्री संग्रहालय
  • राष्ट्रीय युद्ध स्मारक
  • जलियांवाला बाग स्मारक
  • 11 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय

यह संस्थान भारत के बलिदान और संघर्ष को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखते हैं।

महाकुंभ 2025: आध्यात्मिक एकता का सबसे बड़ा आयोजन

66 करोड़ श्रद्धालुओं की भागीदारी

एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ और काशी तमिल संगमम जैसे आयोजनों ने भाषाई और सांस्कृतिक सेतु का कार्य किया। महाकुंभ 2025 में एक महीने के भीतर 66 करोड़ लोगों की भागीदारी दर्शाती है कि भारत की आध्यात्मिक चेतना कितनी व्यापक है।

योग को मिला वैश्विक सम्मान

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की सफलता

भारत ने योग को एक विश्वव्यापी आंदोलन बना दिया है। 2024 में:

  • 25.93 लाख लोगों ने उत्तर प्रदेश में योग की शपथ ली
  • 2025 का योग दिवस थीम: “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग”

आयुर्वेद को मिली वैश्विक मान्यता

डब्ल्यूएचओ और आयुष की पहल

  • 24 देशों के साथ आयुष समझौते
  • 35 देशों में आयुष सूचना केंद्र
  • जामनगर में WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर
  • हील इन इंडिया” और “आयुष वीजा” पहल

इससे भारत प्राकृतिक चिकित्सा का वैश्विक केंद्र बन रहा है।

भारत के रचनात्मक उद्योग को वैश्विक मंच

WEAVES 2025 ने बनाया ऐतिहासिक रिकॉर्ड

मुंबई में आयोजित विश्व ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (WEAVES) में:

  • 100 से अधिक देशों की भागीदारी
  • ₹8,000 करोड़ से अधिक के समझौते

यह आयोजन भारत के रचनात्मक और सांस्कृतिक उद्योगों को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।

भारत की सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर पहचान दिलाना केवल सांस्कृतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक राजनयिक, आर्थिक और सामाजिक निवेश भी है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह दिखाया है कि परंपरा और आधुनिकता का संतुलन, किसी भी देश को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *