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नए आयकर विधेयक 2025: कर कानूनों को सरल और आधुनिक बनाने की पहल

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में नया आयकर विधेयक 2025 पेश किया। इसका उद्देश्य कर कानूनों को सरल, पारदर्शी और आधुनिक बनाना है। यह नया विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा और व्यक्तियों, व्यवसायों एवं गैर-लाभकारी संगठनों के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।

आयकर विधेयक 2025 की खास बातें

कर कानूनों की भाषा हुई आसान और आधुनिक

इस विधेयक में कर कानूनों की भाषा को अधिक सरल और आधुनिक बनाया गया है, ताकि आम नागरिकों के लिए इसे समझना आसान हो।
‘असेसमेंट ईयर’ की जगह अब ‘टैक्स ईयर’ शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा।
‘वर्चुअल डिजिटल एसेट’ (क्रिप्टोकरेंसी) और ‘इलेक्ट्रॉनिक मोड’ जैसे नए शब्द जोड़े गए हैं, जिससे डिजिटल लेनदेन को कर प्रणाली के दायरे में स्पष्ट रूप से लाया जा सके।

विदेशी आय और गैर-निवासियों के कर नियम हुए स्पष्ट

पहले, भारतीय निवासियों की वैश्विक आय पर कर लागू होता था, जबकि गैर-निवासियों (NRI) की केवल भारत में अर्जित आय पर टैक्स लगता था।
नए विधेयक में “मानी गई आय” (Deemed Income) की स्पष्ट परिभाषा दी गई है, जिससे गैर-निवासियों के लिए कर नियम अधिक पारदर्शी होंगे।

कर छूट और कटौती के नियमों में सुधार

पहले, धारा 10 और 80C से 80U तक कर कटौतियां मिलती थीं।
अब, धारा 11 से 154 तक इन कटौतियों को और सरल और प्रभावी बनाया गया है।
स्टार्टअप्स, डिजिटल व्यवसायों और अक्षय ऊर्जा (Renewable Energy) में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई कर राहत योजनाएं जोड़ी गई हैं।

4️⃣ डिजिटल संपत्तियों पर कर लगाने के लिए नए प्रावधान

पहले, धारा 45 से 55A के तहत पूंजीगत लाभ (Capital Gains) को शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म में विभाजित किया जाता था।
अब धारा 67 से 91 के तहत यह व्यवस्था बरकरार रखते हुए डिजिटल संपत्तियों (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) पर कर लगाने के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं।

गैर-लाभकारी संगठनों (NGO) के लिए सख्त नियम

पहले, गैर-लाभकारी संगठनों को धारा 11 से 13 के तहत कर छूट मिलती थी, लेकिन अनुपालन के स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं थे।
अब, धारा 332 से 355 के तहत टैक्सेबल आय, अनुपालन नियम और वाणिज्यिक गतिविधियों पर प्रतिबंध को स्पष्ट किया गया है।
इससे एनजीओ के लिए कर छूट की परिभाषा अधिक पारदर्शी होगी और फर्जी संस्थानों पर लगाम लगेगी।

नया आयकर विधेयक 2025 कर प्रणाली में बड़े सुधार लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इससे टैक्स भरने की प्रक्रिया सरल और डिजिटल होगी, गैर-निवासियों को अधिक पारदर्शिता मिलेगी, और स्टार्टअप तथा अक्षय ऊर्जा क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।

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