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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इंटर्नशिप कार्यक्रम का सफल समापन: छात्रों में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की भावना का विकास

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत द्वारा आयोजित दो सप्ताह का ऑनलाइन शॉर्ट-टर्म इंटर्नशिप कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है। यह कार्यक्रम 13 मई 2025 को शुरू हुआ था, जिसमें 21 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों के 69 छात्रों ने भाग लेकर इसे पूरा किया।

एनएचआरसी द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस इंटर्नशिप के लिए कुल 1,795 आवेदकों में से 80 छात्रों को चयनित किया गया था, जिससे इस कार्यक्रम की प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता का स्तर स्पष्ट होता है।

संवेदनशीलता और समानता की भावना पर ज़ोर

समापन सत्र को संबोधित करते हुए एनएचआरसी की सदस्य विजया भारती सयानी ने कहा कि मानवाधिकारों का मूल आधार सम्मान, समानता और स्वतंत्रता है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस ज्ञान का उपयोग केवल अध्ययन तक सीमित न रखें, बल्कि सहानुभूति और जिम्मेदारी के साथ समाज में इसकी व्यावहारिक भूमिका को समझें।

उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन किसी भी समाज के लिए अस्वीकार्य और गंभीर समस्या है। इस संदर्भ में, उन्होंने आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में विस्थापित आदिवासी समुदायों की दुर्दशा का उल्लेख किया, जिनकी आवासीय सुविधाएं और बुनियादी अधिकार आज भी उपेक्षित हैं।

मानवाधिकार उल्लंघन पर शून्य सहनशीलता की आवश्यकता

भारती सयानी ने यह स्पष्ट किया कि केवल विचारधारात्मक सहानुभूति पर्याप्त नहीं है, बल्कि आवश्यक है कि हम मानवाधिकार उल्लंघनों के प्रति शून्य सहनशीलता का दृष्टिकोण अपनाएं।

“मानवाधिकार केवल सिद्धांत नहीं हैं, बल्कि जीवन की ज़रूरी और जमीनी हकीकत हैं।”

उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे विस्थापित समुदायों की समस्याओं का शीघ्र समाधान करें, ताकि उन्हें बुनियादी मानवाधिकारों का पूर्ण लाभ मिल सके।

व्यावहारिक अनुभव और विशेषज्ञ संवाद

एनएचआरसी के संयुक्त सचिव समीर कुमार ने कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रस्तुत की और बताया कि दो सप्ताह की इस इंटर्नशिप में छात्रों के लिए 35 से अधिक सत्र आयोजित किए गए।

इन सत्रों में विषय विशेषज्ञों, वरिष्ठ अधिकारियों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके अलावा, छात्रों को दिल्ली के तिहाड़ जेल, पुलिस स्टेशन और आशा किरण आश्रय गृह का वर्चुअल दौरा भी कराया गया, जिससे वे मानवाधिकारों की वास्तविक चुनौतियों और कार्य प्रणाली को समझ सकें।

छात्रों की सक्रिय भागीदारी और प्रस्तुति

कार्यक्रम में छात्रों को केवल श्रोता बनकर नहीं रहना पड़ा, बल्कि उन्होंने पुस्तक समीक्षाएं, समूह शोध परियोजनाएं और भाषण प्रतियोगिताएं भी प्रस्तुत कीं। समीर कुमार ने इन गतिविधियों में विजेता रहे प्रतिभागियों के नामों की घोषणा की।

इससे छात्रों में सृजनात्मकता, विचारशीलता और नेतृत्व क्षमता का विकास हुआ, जो उनके भविष्य के सामाजिक योगदान को दिशा देगा।

युवा वर्ग को मानवाधिकारों की जिम्मेदारी से जोड़ना

इंटर्नशिप का मुख्य उद्देश्य छात्रों को मानवाधिकारों की जटिलताओं, कानूनी प्रावधानों और सामाजिक प्रासंगिकता से परिचित कराना था। यह कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि युवाओं में सामाजिक न्याय की भावना और संवेदनशील दृष्टिकोण को भी प्रोत्साहित करता है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से शिक्षा को सुलभ बनाना

इस कार्यक्रम की एक उल्लेखनीय विशेषता इसका ऑनलाइन स्वरूप था। डिजिटल माध्यम से छात्रों को दूरस्थ स्थानों से भाग लेने का अवसर मिला, जिससे यह शिक्षा सभी के लिए सुलभ बनी।

इससे यह भी स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग डिजिटल सशक्तिकरण के साथ शिक्षा के लोकतंत्रीकरण की दिशा में काम कर रहा है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इंटर्नशिप कार्यक्रम छात्रों के लिए केवल शैक्षणिक अवसर नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसा मंच बना, जहां उन्होंने समाज के वास्तविक मुद्दों को समझा, संवेदनशीलता सीखी और भविष्य के लिए दिशा प्राप्त की।

यह कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि भारत का युवा वर्ग अगर मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन में भागीदारी करे, तो सशक्त और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण संभव है।

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