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उत्तर सिक्किम में प्राकृतिक आपदा के बाद बचाव और राहत कार्य तेज, पर्यटकों की सुरक्षित निकासी जारी

उत्तर सिक्किम में प्राकृतिक आपदा के चलते हालात बिगड़ गए हैं। भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया है, जिससे पर्यटक और स्थानीय नागरिक प्रभावित क्षेत्रों में फंस गए हैं। स्थिति को देखते हुए गुरुवार सुबह से ही राज्य और केंद्र सरकारों ने संयुक्त रूप से बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिए हैं।

हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री और टीमें रवाना

गुरुवार सुबह पाक्योंग के ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे से तीन हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी। ये हेलीकॉप्टर उत्तर सिक्किम के छातेन इलाके में फंसे लोगों तक आवश्यक राहत सामग्री, तकनीकी उपकरण और बचावकर्मी पहुंचाने के लिए रवाना किए गए।

इन हेलीकॉप्टरों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के 9 सदस्य और उनके साथ आवश्यक उपकरण मौजूद थे। साथ ही राज्य विद्युत विभाग और एयरटेल की दूरसंचार टीम भी प्रभावित क्षेत्रों में भेजी गई है, ताकि बिजली और संचार सेवाओं की बहाली जल्द की जा सके।

संचार सेवाएं और पुलिस बल भी सक्रिय

राज्य की संचार शाखा के पुलिसकर्मी, जरूरी उपकरणों के साथ उन इलाकों में भेजे गए हैं जहां स्थिति अत्यंत विकट है। उनका उद्देश्य है स्थानीय नागरिकों के लिए सामान्य जनजीवन बहाल करना। पुलिसकर्मी न केवल संचार सेवाओं को दुरुस्त कर रहे हैं, बल्कि राहत कार्यों के लिए भी स्थानीय सहयोग को सशक्त बना रहे हैं।

मौसम में सुधार से तेज हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन

बीते दिनों लगातार बारिश के कारण हेलीकॉप्टर सेवाएं स्थगित करनी पड़ी थीं। खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर लाचेन, लाचुंग और युमथांग जैसी जगहों तक नहीं पहुंच पा रहे थे। लेकिन आज गुरुवार सुबह से मौसम में सुधार होने पर बचाव कार्यों में तेजी लाई गई है।

NDRF की टीमों ने लाचेन क्षेत्र में फंसे पर्यटकों की सुरक्षित निकासी शुरू कर दी है। राज्य प्रशासन इस प्रयास में है कि अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर लाया जाए।

पर्यटन पर असर: रास्ते बंद, पर्यटक फंसे

भूस्खलन के चलते कई पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाली सड़कों पर भारी मलबा जमा हो गया है। जिससे परिवहन पूरी तरह से ठप हो गया है। कई पर्यटक, जो इन स्थलों की सैर करने गए थे, वहीं फंसे हुए हैं।

उत्तर सिक्किम में प्राकृतिक आपदा के चलते न केवल सड़कों की दुर्दशा हुई है, बल्कि स्थानीय जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है। खाने-पीने की चीजें, दवाइयां, और अन्य जरूरी सामान की कमी महसूस की जा रही है।

प्रशासन की सक्रियता और समन्वय

राज्य प्रशासन, भारतीय सेना, और NDRF के बीच तालमेल से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बचाव कार्य संगठित और तेज गति से हो। हेलीकॉप्टर द्वारा राहत सामग्री गिराई जा रही है, वहीं सड़कों की मरम्मत के लिए भारी मशीनरी को मौके पर भेजा गया है।

इसके अलावा, प्रशासन स्थानीय लोगों को अस्थायी आश्रयों में स्थानांतरित कर रहा है जहां उन्हें भोजन, पानी और प्राथमिक उपचार की सुविधाएं दी जा रही हैं।

बिजली और नेटवर्क सेवाओं की बहाली पर जोर

भूस्खलन की वजह से कई स्थानों पर बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। एयरटेल और अन्य सेवा प्रदाताओं की टीमें मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट सेवाएं बहाल करने के लिए कार्यरत हैं। यह बहाली बेहद जरूरी है क्योंकि संचार माध्यमों के बिना राहत कार्यों में कठिनाई हो रही थी।

सरकार की अपील: घबराएं नहीं, सतर्क रहें

सरकार ने जनता से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। स्थानीय प्रशासन लगातार हालात की निगरानी कर रहा है और सोशल मीडिया के ज़रिए अपडेट भी साझा किए जा रहे हैं।

राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने टोल फ्री नंबर भी जारी किए हैं ताकि लोग संपर्क कर सकें और सहायता प्राप्त कर सकें।

क्या करें इस आपदा की स्थिति में?

  • सुरक्षित स्थान पर रहें और अनावश्यक यात्रा न करें।
  • सरकारी निर्देशों का पालन करें।
  • सोशल मीडिया पर झूठी खबरें न फैलाएं।
  • आपात स्थिति में 100 या 108 पर कॉल करें।
  • यदि आप स्वयंसेवक हैं, तो जिला प्रशासन से संपर्क करें।

भविष्य की रणनीति: स्थायी समाधान की आवश्यकता

उत्तर सिक्किम में प्राकृतिक आपदा से यह स्पष्ट हो गया है कि पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और मानसून की अनियमितता एक गंभीर चुनौती है। राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर अब ऐसी दीर्घकालिक योजनाओं पर काम करना होगा जिनसे:

  • आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली को बेहतर किया जा सके।
  • सड़क और पुल निर्माण की गुणवत्ता सुधारी जा सके।
  • स्थानीय लोगों के लिए आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा सकें।

उत्तर सिक्किम में प्राकृतिक आपदा एक बार फिर यह दिखाती है कि मानव जीवन पर प्राकृतिक घटनाओं का कितना गहरा प्रभाव हो सकता है। लेकिन राहत की बात है कि सरकार, सेना और आपदा प्रबंधन एजेंसियां सक्रिय रूप से जुटी हुई हैं। आवश्यकता है जनसहयोग और संयम की ताकि हम मिलकर इस संकट से उबर सकें।

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