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डिजिटल फ्रॉड रोकने के लिए यूपीआई में बड़ा बदलाव, एनपीसीआई पुल ट्रांजैक्शन हटाने की तैयारी में

भारत में डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) से ‘पुल ट्रांजैक्शन’ को हटाने की तैयारी कर रहा है। अक्सर डिजिटल फ्रॉड पुल ट्रांजैक्शन के जरिए होते हैं, इसलिए इसे हटाने से साइबर अपराध को रोकने में मदद मिल सकती है।

क्या होता है पुल ट्रांजैक्शन?

डिजिटल भुगतान में दो तरह के ट्रांजैक्शन होते हैं:

पुल ट्रांजैक्शन: जब कोई मर्चेंट या सेवा प्रदाता ग्राहक से भुगतान लेने के लिए रिक्वेस्ट भेजता है, तो इसे ‘पुल ट्रांजैक्शन’ कहा जाता है। पुश ट्रांजैक्शन: जब ग्राहक क्यूआर कोड स्कैन करके या यूपीआई आईडी डालकर खुद भुगतान करता है, तो इसे ‘पुश ट्रांजैक्शन’ कहते हैं।

एनपीसीआई का मानना है कि यूपीआई में पुल ट्रांजैक्शन को हटाने से फ्रॉड की घटनाओं में कमी आ सकती है

क्या पुल ट्रांजैक्शन हटाने से फ्रॉड कम होंगे?

एनडीटीवी प्रॉफिट की रिपोर्ट के मुताबिक, पुल ट्रांजैक्शन हटाने से साइबर धोखाधड़ी के मामलों में गिरावट आ सकती है। हालांकि, कुछ बैंकर्स का कहना है कि इस बदलाव से सही लेनदेन भी प्रभावित होंगे और इससे यूपीआई की दक्षता पर असर पड़ सकता है।

“अगर पुल ट्रांजैक्शन हटाया जाता है, तो ग्राहकों को हर बार भुगतान करने के लिए अतिरिक्त स्टेप्स अपनाने पड़ सकते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं की सुविधा प्रभावित हो सकती है।” – बैंकिंग विशेषज्ञ

यूपीआई ट्रांजैक्शन में तेजी, लेकिन सुरक्षा भी बड़ी चिंता

यूपीआई लेनदेन भारत में बिना नकद भुगतान का सबसे बड़ा माध्यम बन चुका है। फरवरी 2024 में:

  • 16 अरब यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए।
  • कुल लेनदेन का मूल्य 21 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा।

2024 में यूपीआई लेनदेन 46% की सालाना वृद्धि के साथ 172.2 अरब तक पहुंच गया, जबकि 2023 में यह 117.7 अरब था।

बातचीत अभी शुरुआती चरण में, अंतिम फैसला बाकी

एनपीसीआई ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक,

  • बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से इस बदलाव पर चर्चा चल रही है।
  • योजना अभी शुरुआती चरण में है और अंतिम निर्णय लिया जाना बाकी है।
  • यदि इसे लागू किया जाता है, तो डिजिटल भुगतान का तरीका बदल सकता है।

आरबीआई ने डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल फ्रॉड रोकने और लोगों को जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। इसमें:

  • यूपीआई और ऑनलाइन भुगतान में होने वाले संभावित जोखिमों को बताया जा रहा है।
  • साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नए नियम लाने पर विचार किया जा रहा है।

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल भुगतान और लोन से संबंधित शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं:

  • अप्रैल-जून 2024 में 14,401 शिकायतें दर्ज हुईं।
  • जुलाई-सितंबर 2024 में 12,744 शिकायतें दर्ज की गईं।
  • 2024-25 की पहली छमाही में कुल शिकायतों का 70% हिस्सा डिजिटल भुगतान और लोन से जुड़ा था।

क्या होगा पुल ट्रांजैक्शन हटाने का असर?

संभावित लाभ: डिजिटल फ्रॉड में कमी आएगी। ग्राहकों को अधिक सुरक्षित अनुभव मिलेगा। यूपीआई ट्रांजैक्शन का भरोसा बढ़ेगा।

संभावित चुनौतियां: ऑटो-डेबिट और मर्चेंट पेमेंट पर असर पड़ सकता है। बैंकों और फिनटेक कंपनियों को अपने सिस्टम अपडेट करने पड़ सकते हैं। ग्राहकों को हर बार मैन्युअली पेमेंट करना पड़ सकता है, जिससे असुविधा बढ़ सकती है।

एनपीसीआई का यह कदम यूपीआई को और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव हो सकता है। हालांकि, इसके संभावित प्रभावों को ध्यान में रखते हुए ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

अगर पुल ट्रांजैक्शन हटाया जाता है, तो यह डिजिटल फ्रॉड के मामलों को काफी हद तक रोक सकता है, लेकिन इससे ऑटो-डेबिट भुगतान और मर्चेंट ट्रांजैक्शन पर असर पड़ सकता है। आने वाले महीनों में इस फैसले पर अंतिम मुहर लग सकती है।

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