ऑपरेशन सिंधु: ईरान से सुरक्षित लौटे भारतीयों ने मोदी सरकार का जताया आभार
“भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक सुरक्षित घर वापस लाया जा रहा है। यह मिशन विशेष रूप से तब शुरू किया गया, जब ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के कारण क्षेत्र में हालात काफी गंभीर हो गए थे।“
संकट के समय में भारत सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया
ईरान में बढ़ते संघर्ष के बीच, भारत सरकार ने अपनी कूटनीतिक ताकत और तेज निर्णय क्षमता का प्रदर्शन करते हुए अपने नागरिकों को निकालने का निर्णय लिया। विदेश मंत्रालय ने भारतीय दूतावास के माध्यम से मिशन का संचालन किया और अब तक 1,713 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जा चुकी है।
भारतीयों की भावनात्मक प्रतिक्रियाएं
ईरान से लौटे अधिकांश नागरिकों ने अपनी वापसी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट की।
- एक विस्थापित व्यक्ति ने कहा: “हम गंभीर संकट में थे, लेकिन हमें सुरक्षित वापस लाया गया। यह हमारे लिए एक चमत्कार से कम नहीं है। मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करता हूं।”
- लखनऊ के एक युवक ने बताया: “22 दिन हमने कठिन परिस्थितियों में बिताए। जब इजराइल ने हमला किया, भारतीय दूतावास ने हमें भोजन, दवा और सुरक्षा दी। जय मोदी!”
- एक युवा छात्र ने कहा: “स्थिति भयावह थी, लेकिन भारतीय दूतावास ने हमें कभी अकेला नहीं छोड़ा। वापसी का पूरा प्रबंधन शानदार था।”
क्यों है ऑपरेशन सिंधु भारत के लिए एक उपलब्धि?
ऑपरेशन सिंधु भारत सरकार की उस नीति का प्रमाण है जिसमें वह कहती है — “भारत अपने हर नागरिक के साथ है, चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न हो।”
इस मिशन की विशेषताएं:
- तेज निर्णय और क्रियान्वयन
- भारतीय दूतावासों का प्रभावी समन्वय
- नागरिकों को भोजन, दवा और आश्रय की व्यवस्था
- सुरक्षित वापसी के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था
दिल्ली से जम्मू तक, सभी राज्यों के लोग शामिल
285 लोगों के हालिया जत्थे में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों से नागरिक शामिल थे। इससे यह स्पष्ट है कि यह केवल एक क्षेत्र तक सीमित मिशन नहीं था, बल्कि पूरे भारत के लिए एक प्रयास था।
भारतीय दूतावास की भूमिका रही अहम
ईरान में भारतीय दूतावास ने दिन-रात काम कर फंसे हुए लोगों को आश्वस्त किया, उनके रहने और खाने की व्यवस्था की, और उन्हें सुरक्षित स्थलों तक पहुंचाया। संकट में फंसे लोगों को लगातार अपडेट दिए गए जिससे उनमें डर की भावना कम हुई और भरोसा बना रहा।
लौटे नागरिकों ने क्या कहा?
- “भारत से बेहतर कुछ नहीं है। हमारे प्रधानमंत्री वाकई महान हैं।”
- “ईरान में लगातार बमबारी हो रही थी, लेकिन भारत सरकार ने हमारा ख्याल रखा।”
- “घर तक पहुंचाने तक सरकार का समन्वय उत्कृष्ट था।”
क्या है ऑपरेशन सिंधु का उद्देश्य?
ऑपरेशन सिंधु का मुख्य उद्देश्य ईरान-इजराइल संघर्ष के बीच फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करना था। इसके पीछे भारत की यह सोच है कि संकट चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो, अपने नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
भारत का रिकॉर्ड रहा है सराहनीय
भारत ने इससे पहले भी कई बड़े ऑपरेशन चलाए हैं:
- ऑपरेशन गंगा (यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान)
- ऑपरेशन कावेरी (सूडान संकट)
- ऑपरेशन राहत (यमन से निकासी)
ऑपरेशन सिंधु उसी श्रृंखला का हिस्सा है जहां भारत ने फिर साबित किया कि वह संकट में फंसे अपने नागरिकों को कभी नहीं छोड़ता।
विदेश मंत्रालय और पीएमओ का सक्रिय योगदान
इस पूरे मिशन में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), विदेश मंत्रालय (MEA) और भारतीय दूतावास की भूमिका बेहद सक्रिय रही। सभी एजेंसियों ने एकजुट होकर नागरिकों को सुरक्षित निकालने का कार्य समयबद्ध तरीके से किया।
भारत की वैश्विक छवि पर इसका प्रभाव
ऑपरेशन सिंधु भारत की वैश्विक छवि को और मजबूत करता है। इससे यह संदेश जाता है कि भारत न केवल अपनी रक्षा में सक्षम है, बल्कि मानवता और कूटनीतिक दक्षता के साथ अपने नागरिकों की रक्षा करना भी जानता है।
भारत सरकार की प्रतिबद्धता की मिसाल: ऑपरेशन सिंधु
ऑपरेशन सिंधु भारत सरकार की उस नीति की मिसाल है जिसमें एक-एक नागरिक की जान की कीमत समझी जाती है। यह मिशन केवल एक निकासी नहीं, बल्कि विश्वास, सुरक्षा और कर्तव्य की भावना का प्रतीक है।