पाकिस्तान पर IMF की 50 शर्तें: आर्थिक संकट और भारत से तनाव बना बड़ी चुनौती
“अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के कर्ज के लिए 11 नई शर्तें पेश की हैं। इन नई शर्तों के साथ पाकिस्तान पर कुल 50 शर्तें लागू हो चुकी हैं, जो देश की पहले से जर्जर अर्थव्यवस्था को और मुश्किल में डाल सकती हैं।“
नई IMF शर्तों में बजट और टैक्स सुधार शामिल
IMF की ओर से जो नई मांगें सामने आई हैं, उनमें प्रमुख रूप से 17.6 लाख करोड़ रुपये के नए बजट को मंजूरी देना शामिल है। इसके अतिरिक्त बिजली बिलों पर डेट सर्विसिंग सरचार्ज को बढ़ाना और तीन साल से अधिक पुरानी कारों के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाना भी इन शर्तों में शामिल है। ये शर्तें पाकिस्तान के आम नागरिकों पर सीधा प्रभाव डाल सकती हैं।
भारत-पाक तनाव को IMF ने बताया बड़ा जोखिम
एक रिपोर्ट में IMF ने साफ किया है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ता है, तो इसका सीधा असर पाकिस्तान के राजकोषीय संतुलन, विदेशी व्यापार और प्रस्तावित आर्थिक सुधारों पर पड़ेगा। पिछले दो हफ्तों में दोनों देशों के बीच तनाव के संकेत दिखे हैं। हालांकि बाजार की प्रतिक्रिया अभी तक सीमित रही है, लेकिन भविष्य की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
रक्षा बजट में बड़ी बढ़ोतरी की संभावना
IMF के अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान का अगला रक्षा बजट 2.414 लाख करोड़ रुपये हो सकता है, जो कि पिछले बजट से 12% अधिक है। वहीं पाकिस्तान सरकार ने 2.5 लाख करोड़ रुपये का रक्षा आवंटन करने का संकेत दिया है, जो कि भारत के साथ बढ़ते तनाव का नतीजा माना जा रहा है। यह बजट कुल सार्वजनिक व्यय में काफी बड़ी हिस्सेदारी ले सकता है।
विकास खर्च में भारी कटौती
IMF ने यह भी खुलासा किया है कि पाकिस्तान के कुल बजट 17.6 लाख करोड़ रुपये में से केवल 1.07 लाख करोड़ रुपये ही विकास कार्यों पर खर्च होंगे। इसके विपरीत, 6.6 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित राजकोषीय घाटा है, जो सरकार की वित्तीय स्थिति को और कठिन बना सकता है।
बजट की संसदीय मंजूरी बन गई नई बाध्यता
नवीनतम शर्तों में यह भी जोड़ा गया है कि जून 2025 तक IMF के स्टाफ एग्रीमेंट के तहत पाकिस्तान को आगामी वित्त वर्ष 2026 का बजट संसद से पास करवाना होगा। यदि यह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ, तो कर्ज की अगली किस्त मिलने में अड़चन आ सकती है।
व्यापार पर असर: कारों के आयात पर नीति बदलाव
तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर लगा प्रतिबंध हटाने की शर्त को लेकर भी काफी विवाद है। यह शर्त देश के स्थानीय ऑटोमोबाइल उद्योग पर सीधा असर डाल सकती है। वहीं दूसरी ओर, IMF का तर्क है कि इससे राजस्व में वृद्धि होगी और आयात नियंत्रण को लचीला बनाया जा सकेगा।
पाकिस्तान का आर्थिक असंतुलन
देश का आर्थिक ढांचा इस समय भारी दबाव में है। महंगाई, बेरोजगारी और विदेशी कर्ज की किश्तें मिलाकर पाकिस्तान को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। IMF की इन 50 शर्तों ने देश की नीति निर्माण प्रक्रिया पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का प्रभाव और अधिक बढ़ा दिया है।
भारत से संबंध और विदेशी निवेश पर प्रभाव
भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव को IMF ने एक प्रमुख आर्थिक जोखिम माना है। यह न केवल सरकारी बजट को प्रभावित कर सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों की सोच पर भी असर डाल सकता है। क्षेत्र में अस्थिरता निवेश के लिए प्रतिकूल माहौल बना सकती है।
निष्कर्ष: पाकिस्तान के लिए क्या आगे?
IMF की 50 शर्तें पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। इन शर्तों के माध्यम से जहां आर्थिक अनुशासन की उम्मीद की जा रही है, वहीं घरेलू स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता भी बढ़ सकती है। यदि भारत के साथ तनाव बरकरार रहा और आर्थिक सुधारों में देरी हुई, तो पाकिस्तान को गंभीर वित्तीय और कूटनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।