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पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार वेटिकन सिटी में संपन्न | पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मु ने दी श्रद्धांजलि

"पोप फ्रांसिस का निधन पूरी दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके जीवन का संदेश – प्रेम, सेवा और करुणा – आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। भारत ने भी पोप फ्रांसिस को उच्च सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी है। उनकी यादें मानवता की सेवा करने वालों के बीच हमेशा जीवित रहेंगी।"

पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार: भारत ने दी श्रद्धांजलि

वेटिकन सिटी के सेंट पीटर बेसिलिका में शनिवार को पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर दुनिया भर से आए हजारों श्रद्धालुओं और नेताओं ने उन्हें अंतिम विदाई दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पोप फ्रांसिस की समाज के प्रति सेवा को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के ‘एक्स’ पोस्ट को रीपोस्ट कर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।


भारत की ओर से उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अर्पित की श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सेंट पीटर बेसिलिका पहुंचकर पोप फ्रांसिस के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। उनके साथ केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष जोशुआ डि'सूजा भी उपस्थित रहे। भारत सरकार ने पोप फ्रांसिस के सम्मान में आज पूरे देश में राजकीय शोक घोषित किया। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा और कोई भी सरकारी मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया।


पोप फ्रांसिस का निधन और स्वास्थ्य संबंधी संघर्ष

पोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल को हुआ था। 88 वर्ष की उम्र में उन्हें स्ट्रोक और हृदय गति रुकने के कारण दुनिया को अलविदा कहना पड़ा। पिछले कई महीनों से वे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। 14 फरवरी को उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां निमोनिया और एनीमिया का इलाज चला। इसके बाद फेफड़ों के संक्रमण और किडनी संबंधी दिक्कतें भी सामने आई थीं। हालांकि 14 मार्च को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी, लेकिन उनका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं हो सका और अंततः 21 अप्रैल को उन्होंने अंतिम सांस ली।


दुनियाभर के नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों और उच्च अधिकारियों ने भाग लिया। उनके योगदान को याद करते हुए सभी ने शांति, करुणा और सेवा के प्रतीक के रूप में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पोप फ्रांसिस ने अपने जीवन में मानवता के कल्याण, गरीबों की सेवा और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की थीं।


पोप फ्रांसिस का जीवन और योगदान

  • पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था।
  • वे मार्च 2013 में कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने।
  • वे पहले ऐसे पोप थे जो लैटिन अमेरिका से आए थे।
  • उन्होंने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और शरणार्थी अधिकारों पर विशेष जोर दिया।
  • पोप ने चर्च को अधिक समावेशी और आधुनिक बनाने के प्रयास किए।

भारत और वेटिकन के संबंधों में पोप का योगदान

भारत और वेटिकन सिटी के बीच सदियों पुराने संबंध हैं। पोप फ्रांसिस के नेतृत्व में इन संबंधों को और मजबूती मिली। भारत में ईसाई समुदाय के प्रति उनके स्नेहपूर्ण दृष्टिकोण और सामाजिक सेवा के कार्यों ने उन्हें खास सम्मान दिलाया। भारत सरकार ने भी उनके योगदान को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया और इस दुखद अवसर पर राष्ट्रीय शोक घोषित कर उनकी स्मृति को सम्मानित किया।

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