तीन राज्यों में रेलवे दोहरीकरण परियोजना को मंजूरी, 6,405 करोड़ की लागत से होगा रेल नेटवर्क विस्तार
“
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने एक बड़ी पहल की घोषणा की है। समिति ने झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सात जिलों को जोड़ने वाली रेलवे दोहरीकरण परियोजना को हरी झंडी दी है। इस योजना में दो मुख्य रेल मार्गों को दोहरीकरण किया जाएगा, जिसकी कुल लागत ₹6,405 करोड़ आंकी गई है।“
इन योजनाओं का उद्देश्य रेलवे नेटवर्क को मजबूत करना, माल और यात्री परिवहन को बेहतर बनाना, और टिकाऊ परिवहन समाधान को बढ़ावा देना है।
रेलवे दोहरीकरण परियोजना से क्या मिलेगा लाभ?
इन योजनाओं से न केवल यात्रा और माल ढुलाई में सुविधा होगी, बल्कि:
- लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी
- तेल आयात पर निर्भरता घटेगी
- कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा
- रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
- स्थानीय कनेक्टिविटी में भारी सुधार होगा
परियोजना के दौरान लगभग 108 लाख मानव दिवसों का प्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद है।
किन दो रेलवे परियोजनाओं को मिली स्वीकृति?
1. कोडरमा-बरकाकाना रेलवे दोहरीकरण परियोजना (133 किमी)
- यह मार्ग झारखंड के कोयला क्षेत्र से होकर गुजरता है
- पटना और रांची के बीच यह सबसे छोटा और कुशल रेल मार्ग बनेगा
- दोहरीकरण से मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों की रफ्तार और संख्या बढ़ेगी
- क्षेत्रीय आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा
कोडरमा-बरकाकाना रेलवे दोहरीकरण परियोजना
2. बेल्लारी-चिकजाजुर रेलवे दोहरीकरण परियोजना (185 किमी)
- यह परियोजना कर्नाटक के बेल्लारी और चित्रदुर्ग, और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से होकर गुजरती है
- यह खनिज और औद्योगिक परिवहन का महत्वपूर्ण मार्ग है
- लाइन पर माल ढुलाई क्षमता को दोगुना किया जाएगा
- इससे क्षेत्रीय विकास और रोजगार में तेजी आएगी
बेल्लारी-चिकजाजुर दोहरीकरण परियोजना
इन राज्यों और जिलों को मिलेगा सीधा लाभ
यह परियोजना झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुल 7 जिलों से होकर गुजरेगी और भारतीय रेल नेटवर्क को 318 किलोमीटर तक विस्तार देगी।
इसके अंतर्गत आने वाले जिलों में:
- झारखंड: कोडरमा, रामगढ़
- कर्नाटक: बेल्लारी, चित्रदुर्ग
- आंध्र प्रदेश: अनंतपुर
- और अन्य सीमावर्ती जिले शामिल होंगे
1,408 गांवों को मिलेगा बेहतर रेल संपर्क
परियोजना से जुड़े क्षेत्रों में 1,408 गांवों की लगभग 28.19 लाख जनसंख्या को लाभ मिलेगा। इससे ग्रामीण भारत में आवाजाही, कृषि माल, रोजगार और शिक्षा तक पहुंच को बढ़ावा मिलेगा।
पीएम-गति शक्ति मास्टर प्लान के अंतर्गत योजना
यह पूरी परियोजना पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत विकसित की जा रही है। इसका उद्देश्य मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है, ताकि लोग, वस्तुएं और सेवाएं निर्बाध रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच सकें।
कौन-सी वस्तुओं की ढुलाई में होगा सुधार?
इन मार्गों पर निम्न वस्तुओं का अधिक मात्रा में परिवहन होगा:
- कोयला
- लौह अयस्क
- परिष्कृत इस्पात
- सीमेंट
- उर्वरक
- कृषि उत्पाद
- पेट्रोलियम उत्पाद
यह सभी सामग्री देश के बुनियादी ढांचे और कृषि विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
49 मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त ढुलाई क्षमता
दोहरीकरण से रेलवे की कुल माल परिवहन क्षमता में 49 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) की वृद्धि होगी। यह उद्योग और व्यापार दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
क्लाइमेट फ्रेंडली और टिकाऊ परिवहन की दिशा में बड़ा कदम
इन परियोजनाओं के जरिए रेलवे नेटवर्क:
- पारंपरिक डीजल आधारित परिवहन से हटकर इलेक्ट्रिक रेल संचालन को बढ़ावा देगा
- हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ेगा
- उत्सर्जन कटौती में योगदान देगा, जिससे भारत के नेट ज़ीरो कार्बन लक्ष्य को बल मिलेगा
यह रेलवे दोहरीकरण परियोजना न केवल बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाएगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोणों से ग्रामीण भारत के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी। अगर इन योजनाओं को समयबद्ध रूप से कार्यान्वित किया गया, तो यह भारत के रेलवे भविष्य को एक नई दिशा दे सकती है।