रमजान का पवित्र महीना शुरू, देशभर में अमन और इबादत का माहौल
“इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना रमजान आज से शुरू हो गया है। शनिवार शाम चांद दिखने के बाद रविवार से इस इबादत और रोजों के पाक महीने की शुरुआत हुई। रमजान आत्मसंयम, भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में इबादत और सद्भावना का माहौल देखने को मिल रहा है।“
प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं ने दी रमजान की शुभकामनाएं
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रमजान की बधाई दी। उन्होंने लिखा,
“रमजान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। उम्मीद है कि यह हमारे समाज में शांति और सद्भाव लेकर आएगा। यह पवित्र महीना चिंतन, कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक है, साथ ही हमें करुणा, दया और सेवा के मूल्यों की याद दिलाता है। रमजान मुबारक!”
वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी रमजान की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में लिखा,
“रमजान मुबारक! यह पवित्र महीना आपके जीवन को खुशियों से भर दे और आपके दिल में शांति लाए।”
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी रमजान की बधाई देते हुए कहा,
“मैं सभी लोगों को रमजान की शुभकामनाएं देता हूं। यह महीना हमें त्याग, दया और इबादत का संदेश देता है।”
रमजान का महत्व और इसका संदेश
रमजान इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण महीनों में से एक है। इस दौरान रोजेदार सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं, जिसे रोजा कहा जाता है। रमजान का उद्देश्य आत्मसंयम, संयमित आचरण और गरीबों की मदद के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह महीना सब्र, इबादत और भलाई के कार्यों पर जोर देता है।
रमजान की परंपराएं और इबादत
- सहरी: रोजे की शुरुआत सूर्योदय से पहले भोजन (सहरी) करने से होती है।
- इफ्तार: सूर्यास्त के बाद रोजा खोलने के समय विशेष दुआ की जाती है और खजूर व पानी से रोजा खोला जाता है।
- तरावीह नमाज: रमजान के दौरान रात में विशेष नमाज (तरावीह) पढ़ी जाती है।
- जकात: रमजान के दौरान दान देने (जकात) को अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है।
- लैलतुल क़द्र: रमजान की आखिरी दस रातों में से एक, जिसे सबसे पाक रात माना जाता है।
रमजान केवल उपवास रखने का महीना नहीं, बल्कि आत्मसंयम, आध्यात्मिक शुद्धता और गरीबों की मदद का संदेश भी देता है। यह महीना सामाजिक सद्भाव, दान और भलाई के कार्यों को प्रोत्साहित करता है। देशभर में लोग इस पवित्र महीने का स्वागत उल्लास और श्रद्धा के साथ कर रहे हैं।