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राजनाथ सिंह एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे: चीन में भारत की भूमिका पर दुनिया की नजरें

भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह इस सप्ताह चीन के किंगदाओ में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे। यह बैठक केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक ऐसा मंच है जहां भारत को वैश्विक स्तर पर अपना दृष्टिकोण रखने और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

एससीओ बैठक में भारत की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है?

एससीओ बैठक में राजनाथ सिंह की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि भारत इस मंच को गंभीरता से लेता है। भारत ने पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और एससीओ जैसे मंच पर इसे और मजबूत तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा।

वैश्विक शांति और सुरक्षा पर भारत का दृष्टिकोण

बैठक में राजनाथ सिंह वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थिरता पर भारत की विचारधारा साझा करेंगे। भारत हमेशा से संवाद, सहयोग और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन का पक्षधर रहा है। ऐसे मंच पर भारत की यही नीति सामने आएगी।

आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता पर जोर

राजनाथ सिंह का एक अहम उद्देश्य होगा — आतंकवाद को निर्मूल करने के लिए एससीओ देशों को एकजुट करना। भारत इस बात पर बल देगा कि केवल साझा रणनीतियों और सहयोग से ही आतंकवाद को जड़ से मिटाया जा सकता है।

  • आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की आवश्यकता
  • सीमा पार आतंकवाद पर कड़ा रुख
  • सूचना और खुफिया साझेदारी पर जोर

एससीओ देशों के बीच व्यापार और संपर्क को मिलेगा बल

बैठक में भारत द्वारा व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क को बढ़ाने पर विशेष बल दिया जाएगा। भारत का मानना है कि क्षेत्रीय शांति और समृद्धि तभी संभव है जब आपसी व्यापार और भौगोलिक कनेक्टिविटी को प्राथमिकता दी जाए।

  • परिवहन नेटवर्क
  • डिजिटल कनेक्टिविटी
  • ऊर्जा सहयोग
  • व्यापार बाधाओं को कम करना

चीन और रूस सहित कई देशों से द्विपक्षीय वार्ताएं

राजनाथ सिंह की इस यात्रा में सिर्फ बहुपक्षीय संवाद ही नहीं, बल्कि द्विपक्षीय बैठकें भी अहम होंगी। वे चीन और रूस सहित अन्य रणनीतिक भागीदार देशों के अपने समकक्षों से मुलाकात करेंगे।

संभावित मुद्दे:

  • भारत-चीन सीमा मुद्दों पर वार्ता
  • भारत-रूस रक्षा सहयोग में मजबूती
  • बहुपक्षीय सुरक्षा और सैन्य अभ्यास

चीन के साथ रिश्तों में नई दिशा?

हालांकि भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में तनाव रहा है, लेकिन इस बैठक के दौरान होने वाली द्विपक्षीय बातचीत दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक चैनल खोलने का मौका हो सकती है। यह स्पष्ट है कि भारत शांति चाहता है, लेकिन आत्म-सम्मान और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा।

भारत की रक्षा नीति और एससीओ मंच

भारत की रक्षा नीति रक्षा के साथ-साथ रणनीतिक सहयोग पर केंद्रित रही है। एससीओ जैसे मंच भारत को मौका देते हैं कि वह केवल सैन्य दृष्टिकोण नहीं, बल्कि कूटनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी अपने विचार साझा कर सके।

एससीओ का महत्व क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक प्रमुख क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान सदस्य हैं। इसका उद्देश्य:

  • क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाना
  • आर्थिक सहयोग
  • आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान

भारत ने 2017 में SCO की पूर्ण सदस्यता हासिल की थी और तब से इसकी बैठकों में सक्रिय भागीदारी की है।

इस बैठक से भारत को क्या लाभ मिल सकते हैं?

  1. वैश्विक मंच पर अपनी छवि को सशक्त करना
  2. आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक सहमति बनाना
  3. रणनीतिक साझेदारियों को नई दिशा देना
  4. सैन्य और आर्थिक सहयोग के अवसर बनाना

राजनाथ सिंह की भूमिका और रणनीति

राजनाथ सिंह का व्यक्तित्व स्पष्ट विचारों और सशक्त नेतृत्व का प्रतीक है। वे न केवल भारत की सुरक्षा नीति के प्रमुख योजनाकार हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी उनका विशेष योगदान रहा है।

  • स्पष्ट और सशक्त वक्तव्य
  • मुद्दों पर तथ्यों के साथ बातचीत
  • आपसी सम्मान और सहयोग पर बल

एससीओ बैठक में राजनाथ सिंह की भागीदारी भारत की रणनीतिक सोच का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि सहयोग, स्थिरता और शांति को प्राथमिकता देना है। भारत अब केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक रणनीतिकार की भूमिका निभा रहा है।

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