अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का नया टैरिफ प्लान: भारतीय फार्मा उद्योग पर मंडरा रहा खतरा
“अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि फार्मास्यूटिकल्स पर अभी तक दी गई टैरिफ छूट जल्द ही समाप्त की जा सकती है। मंगलवार रात को अपने भाषण में ट्रंप ने कहा, “हम बहुत जल्द फार्मास्यूटिकल्स पर बड़ा टैरिफ लगाने की घोषणा करने जा रहे हैं।”
अमेरिका में रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव: भारत हो सकता है प्रभावित
बुधवार से अमेरिका में रेसिप्रोकल टैरिफ नीति लागू हो गई है, जिसके तहत उन देशों पर टैरिफ लगाया जाएगा जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते हैं। भारत भी इन देशों में शामिल है।
भारतीय फार्मा निर्यात को झटका
भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में फार्मास्यूटिकल्स और जेनेरिक दवाओं का निर्यात करता है। भारत अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा उत्पादों पर औसतन 10 प्रतिशत टैरिफ वसूलता है, जबकि अमेरिका अब तक भारत से आयात पर कोई शुल्क नहीं लगाता था। ट्रंप के बयान के बाद स्थिति बदल सकती है।
ट्रंप के भाषण में भारत का उल्लेख नहीं, लेकिन असर तय
वॉशिंगटन में नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के डिनर में ट्रंप ने चीन का जिक्र किया, लेकिन भारत का नाम नहीं लिया। हालांकि, यह स्पष्ट है कि ट्रंप की टैरिफ नीति का सीधा असर भारत पर भी पड़ सकता है, क्योंकि भारत अमेरिका के फार्मा बाजार में 31.5% हिस्सा रखता है।
ट्रंप की योजना: फार्मा कंपनियों को अमेरिका लाने की कोशिश
ट्रंप ने कहा, “जब फार्मा कंपनियों को टैरिफ की जानकारी होगी, तो वे चीन और अन्य देशों को छोड़कर अमेरिका में उत्पादन शुरू करेंगी।” उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ के बाद कंपनियां अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों में नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स लगाएंगी।
पहले फार्मा को मिली थी छूट, अब क्यों बदलाव?
पिछले सप्ताह ट्रंप ने फार्मा, सेमीकंडक्टर्स, एनर्जी और मिनरल्स जैसे क्षेत्रों को टैरिफ से छूट दी थी क्योंकि ये अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए “क्रिटिकल सेक्टर्स” माने जाते हैं। भारत से आयातित जेनेरिक दवाएं अमेरिका के महंगे हेल्थकेयर सिस्टम की लागत को कम करने में मदद करती हैं, इसलिए पहले इन्हें छूट मिली थी।
अमेरिका-भारत व्यापार समझौता: एक समाधान की तलाश
भारत और अमेरिका फिलहाल द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं जिससे दोनों देशों के बीच टैरिफ और शुल्क के मसलों को संतुलित किया जा सके। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समझौते से टकराव की स्थिति को रोका जा सकता है।
भारत के लिए क्या है जोखिम?
- फार्मा निर्यात में गिरावट आ सकती है
- भारत की जेनेरिक दवाओं की प्रतिस्पर्धा पर असर
- अमेरिकी हेल्थकेयर लागत बढ़ने की आशंका
- निवेश और रोजगार पर भी असर संभव
अमेरिका में भारतीय दवाओं की मौजूदगी
आईक्यूवीआईए नामक हेल्थ डेटा कंपनी के अनुसार, 2022 में अमेरिका में दिए गए हर 10 में से 4 प्रिस्क्रिप्शन भारतीय कंपनियों के उत्पाद थे। इसका अर्थ है कि भारत की दवाएं अमेरिका के हेल्थ सेक्टर में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
ट्रेड वॉर की ओर बढ़ता अमेरिका
रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद अमेरिका और चीन के बीच भी ट्रेड वॉर तेज हो गई है। अमेरिका ने चीन के 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के जवाब में नया टैरिफ प्लान लागू किया है। यदि भारत भी इस सूची में पूरी तरह शामिल होता है तो नई व्यापारिक चुनौती सामने आ सकती है।