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उड़ान योजना से देशभर में जुड़े 625 मार्ग, 1.49 करोड़ यात्रियों ने उठाया लाभ

"भारत की उड़ान योजना ने अब तक 625 मार्गों को जोड़कर 1.49 करोड़ से ज्यादा यात्रियों को सस्ती और सुलभ हवाई सेवा का लाभ दिलाया है। छोटे शहरों को जोड़ने का यह अभियान न केवल कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है, बल्कि देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आने वाले वर्षों में उड़ान योजना भारत को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के मामले में वैश्विक मानचित्र पर और मजबूत बनाएगी।"

भारत में उड़ान योजना के तहत 625 हवाई मार्गों की शुरुआत

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई उड़ान योजना ने देश के छोटे शहरों और दूरदराज के इलाकों को हवाई सेवा से जोड़ने का सपना साकार कर दिया है। अब तक 625 हवाई मार्गों पर उड़ानें शुरू हो चुकी हैं, जिनसे 90 से अधिक हवाई अड्डे आपस में जुड़े हैं। इस योजना के जरिए 1.49 करोड़ से अधिक यात्रियों को किफायती हवाई सेवाओं का लाभ मिला है। इससे यह स्पष्ट होता है कि योजना ने न केवल हवाई कनेक्टिविटी को बढ़ाया है, बल्कि आम आदमी के लिए हवाई यात्रा को भी सुलभ बनाया है।


उड़ान योजना की शुरुआत और उद्देश्य

'उड़ान' योजना (Ude Desh ka Aam Nagrik) की शुरुआत 21 अक्टूबर 2016 को हुई थी। इस योजना के तहत पहली उड़ान 27 अप्रैल 2017 को शिमला से दिल्ली के बीच संचालित हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य छोटे शहरों को बड़े महानगरों से जोड़ना और किफायती दरों पर हवाई यात्रा उपलब्ध कराना है। योजना के माध्यम से सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि देश के दूरस्थ हिस्से भी अब उड़ान सेवा से लाभान्वित हों।


भारत में हवाई अड्डों की संख्या में हुआ जबरदस्त इजाफा

जब 2014 में उड़ान योजना लागू नहीं हुई थी, तब भारत में कुल 74 हवाई अड्डे थे। परंतु अब, 2024 तक यह संख्या बढ़कर 159 हो गई है। इस प्रकार, पिछले दस वर्षों में हवाई अड्डों की संख्या में दोगुने से भी अधिक वृद्धि हुई है। इससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में एक नई जान फूंकी गई है और छोटे शहरों के विकास को बल मिला है।


वित्तीय सहायता से मजबूत हुआ क्षेत्रीय हवाई नेटवर्क

उड़ान योजना के तहत सरकार ने अब तक 4,023 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता (Viability Gap Funding - VGF) प्रदान की है। इस सहायता से निजी विमानन कंपनियों को दूरदराज के इलाकों में उड़ानें शुरू करने के लिए प्रेरित किया गया। नतीजतन, इन क्षेत्रों में:

  • पर्यटन को बढ़ावा मिला।
  • स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान हुई।
  • व्यापार के नए अवसर पैदा हुए।
  • रोजगार के नए साधन विकसित हुए।

इस प्रकार, उड़ान योजना ने न केवल यात्रा को आसान बनाया, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान दिया।


उड़ान योजना का सामाजिक प्रभाव

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा है कि उड़ान योजना केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक क्रांतिकारी बदलाव है। इससे छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों को भी राष्ट्रीय हवाई नेटवर्क से जोड़ा गया है। साथ ही, अब देश के हर कोने में रहने वाला आम नागरिक भी हवाई यात्रा का सपना पूरा कर पा रहा है।


योजना की चुनौतियां और भविष्य की दिशा

हालांकि उड़ान योजना ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है, फिर भी कुछ चुनौतियां सामने आई हैं:

  • कुछ मार्गों पर यात्री संख्या कम रही।
  • कुछ हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचे की कमी रही।

सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए नए कदम उठा रही है। भविष्य में अधिक से अधिक मार्गों को जोड़ने और उड़ानों की निरंतरता सुनिश्चित करने पर भी काम किया जा रहा है।


नए शहरों और क्षेत्रों को जोड़ने की योजना

सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत में 200 से अधिक हवाई अड्डे हों।

इसके साथ ही:

  • और अधिक टियर-2 और टियर-3 शहरों को कनेक्टिविटी से जोड़ने का प्रयास होगा।
  • ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स के निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • मौजूदा हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया जाएगा।

इस तरह उड़ान योजना का विस्तार देशभर में आर्थिक विकास को नई गति देगा।

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