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9 वर्षों में उज्ज्वला योजना ने बदली करोड़ों महिलाओं की ज़िंदगी, मुफ्त गैस कनेक्शन से मिली सशक्तिकरण की ताकत

भारत सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) ने पिछले नौ वर्षों में न सिर्फ स्वच्छ ईंधन पहुंचाने का काम किया है, बल्कि करोड़ों महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर भी बनाया है। यह योजना सामाजिक और पर्यावरणीय सुधारों का संगम मानी जाती है। इसके माध्यम से गरीब और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को रसोई में स्वच्छ और सुरक्षित एलपीजी गैस उपलब्ध कराई गई है।

फ्री एलपीजी कनेक्शन से बदली ग्रामीण महिलाओं की दुनिया

उज्ज्वला योजना महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण साधन बनी है। यह योजना 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से शुरू की गई थी। तब से अब तक 10.33 करोड़ से अधिक महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल चुका है।

ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में महिलाएं पारंपरिक ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला या गोबर के उपलों का उपयोग करती थीं। इससे न केवल उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचता था, बल्कि घरों में धुएं के कारण पर्यावरण भी दूषित होता था।

एलपीजी कनेक्शन से महिला स्वास्थ्य में सुधार

पारंपरिक चूल्हों के धुएं से महिलाओं में आंखों, फेफड़ों और सांस से जुड़ी बीमारियां आम थीं। लेकिन उज्ज्वला योजना के जरिए फ्री एलपीजी कनेक्शन मिलने से उन्हें इससे राहत मिली है। अब महिलाएं बिना धुएं के खाना बना पा रही हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य सुधरा है और उनकी कार्यक्षमता भी बढ़ी है।

10 करोड़ से अधिक परिवारों को मिला लाभ

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जानकारी दी कि अब तक इस योजना के तहत 238 करोड़ से अधिक बार सिलेंडर रिफिल किए जा चुके हैं।

इसका मतलब है कि यह योजना केवल कनेक्शन तक सीमित नहीं रही, बल्कि लोगों ने लगातार इसका उपयोग भी किया है। इससे यह साफ होता है कि लोगों में स्वच्छ ईंधन के प्रति जागरूकता बढ़ी है और यह आदत का हिस्सा बन चुका है।

हर कोने तक पहुंची योजना

देशभर में योजना के विस्तार के लिए 11,670 नए एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर नियुक्त किए गए हैं। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि दूर-दराज और पहाड़ी क्षेत्रों में भी समय पर सिलेंडर की आपूर्ति हो सके।

पहले ऐसे क्षेत्र जहां कभी एलपीजी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, अब वहां भी उज्ज्वला योजना के जरिए रसोई गैस पहुंचाई गई है।

स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में योगदान

उज्ज्वला योजना महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक रही है। पारंपरिक ईंधनों से निकलने वाला धुआं कार्बन उत्सर्जन को बढ़ाता है। इससे न केवल घर के लोग प्रभावित होते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की समस्या भी गहराती है। एलपीजी उपयोग से इन खतरों में कमी आई है।

योजना की खास विशेषताएं

  • बिना किसी डिपॉजिट के मुफ्त एलपीजी कनेक्शन।
  • बीपीएल परिवारों की महिलाओं को प्राथमिकता।
  • एक बार में दो बर्नर वाला चूल्हा और सिलेंडर दिया गया।
  • आसान रीफिलिंग और सब्सिडी की व्यवस्था।
  • पूरे देश में लागू और पहुंच योग्य।

महिला सशक्तिकरण का प्रभाव

महिलाएं अब ईंधन लाने में लगने वाले समय को दूसरे कार्यों में लगा पा रही हैं। इससे वे शिक्षा, स्वरोजगार और सामाजिक कार्यों में भी हिस्सा ले रही हैं। उज्ज्वला योजना ने उन्हें केवल रसोई की चारदीवारी से निकालकर समाज में भागीदारी का अवसर दिया है।

स्वच्छ ईंधन का उपयोग अब आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य से जुड़ गया है।

सरकार की आगे की योजना

सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक वंचित महिलाओं तक उज्ज्वला योजना को पहुंचाया जाए। हाल ही में सरकार ने इस योजना के दूसरे चरण की भी घोषणा की है, जिसमें अतिरिक्त सब्सिडी और सरल आवेदन प्रक्रिया को शामिल किया गया है।

इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी पात्र महिला स्वच्छ रसोई गैस सुविधा से वंचित न रह जाए।

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