वक्फ संशोधन विधेयक 2024: संसद में पेश होने से पहले भाजपा ने जारी किया सख्त व्हिप
“भारत की संसद में आगामी सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण विधेयक चर्चा का केंद्र बन गया है — वक्फ संशोधन विधेयक 2024। यह विधेयक लंबे समय से विवाद और असहमति का विषय रहा है, और अब इसे लेकर सरकार और विपक्ष दोनों के बीच राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं।“
भाजपा ने सभी सांसदों के लिए जारी किया सख्त व्हिप
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2 अप्रैल 2024 को लोकसभा में इस विधेयक को पेश करने से पहले अपने सभी सांसदों के लिए एक अनिवार्य व्हिप जारी किया है। मुख्य सचेतक डॉ. संजय जायसवाल द्वारा जारी किए गए इस व्हिप में कहा गया है कि सभी भाजपा सांसदों को सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना होगा, ताकि पार्टी की ओर से विधायी प्रक्रिया में एकजुट समर्थन सुनिश्चित किया जा सके।
इस निर्णय से स्पष्ट है कि भाजपा इस विधेयक को पारित कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक 2024?
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 दरअसल पहले से प्रस्तुत वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित कई महत्वपूर्ण बदलावों का समावेश करता है। यह संशोधन संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों और जनता दल (यूनाइटेड) के दिए गए सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है।
विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता, जवाबदेही और उनके रजिस्ट्रेशन से जुड़े प्रावधानों को और अधिक स्पष्ट व मजबूत करने का प्रयास किया गया है।
टीडीपी का समर्थन: सरकार को मिली अहम बढ़त
इस विधेयक पर जहां एक ओर विपक्षी दलों में असहमति देखी जा रही है, वहीं केंद्र सरकार को तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का स्पष्ट समर्थन प्राप्त हुआ है। टीडीपी ने यह घोषणा की है कि वह विधेयक के पक्ष में मतदान करेगी। इससे सरकार को संख्यात्मक रूप से बड़ा लाभ मिलेगा और विधेयक के पारित होने की संभावना और प्रबल हो गई है।
विधेयक के कुछ प्रमुख प्रस्ताव
- राज्य सरकार को अधिक अधिकार:
अब यह राज्य सरकार पर निर्भर करेगा कि वह यह तय करे कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। इसके लिए सरकार कलेक्टर से ऊपर रैंक के अधिकारी को नियुक्त कर सकती है। - पुरानी संपत्तियों पर नहीं होगा प्रभाव:
यह संशोधित कानून पूर्व प्रभावी (retrospective) नहीं होगा, यानी मौजूदा मस्जिदों, दरगाहों या धार्मिक स्थलों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यह सुझाव विशेष रूप से जेडीयू की ओर से आया था, जिसे सरकार ने स्वीकार किया है। - सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग:
औकाफ (वक्फ संपत्तियों) की सूची अब गजट प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और जनता को जानकारी तक पहुंच आसान होगी। - वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्य:
विधेयक के अनुसार, अब वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा, जो पदेन नहीं होंगे। इसके अलावा, वक्फ मामलों से जुड़े संयुक्त सचिव को भी पदेन सदस्य के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
विपक्ष की आपत्ति
जहां सरकार इसे सुधारात्मक और पारदर्शी कदम मान रही है, वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप है। कुछ नेताओं ने चिंता जताई है कि इससे वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ सकता है और धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित किए बिना केवल प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए लाया गया है।
क्यों है यह विधेयक महत्वपूर्ण?
भारत में वक्फ संपत्तियाँ लाखों एकड़ में फैली हुई हैं, जिनका मूल्य हजारों करोड़ रुपये है। लेकिन इन संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर कई बार भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और विवाद सामने आए हैं। सरकार का उद्देश्य है कि इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि इनका उपयोग उन उद्देश्यों के लिए ही हो जिनके लिए इन्हें वक्फ किया गया था।
इस विधेयक से यह भी सुनिश्चित होगा कि वक्फ बोर्ड और इससे जुड़े अधिकारी उत्तरदायी बनें और समाज के हित में कार्य करें।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर सरकार पूरी तरह सतर्क और प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। भाजपा द्वारा सभी सांसदों के लिए जारी किया गया व्हिप, टीडीपी का समर्थन, और जेडीयू के सुझावों को शामिल करना — यह सभी दर्शाते हैं कि सरकार विधेयक को पारित कराने के लिए रणनीतिक रूप से तैयार है।
हालांकि विपक्ष की आपत्तियाँ और बहसें लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन यह भी ज़रूरी है कि ऐसे कानून पूरी पारदर्शिता और जनहित के साथ लागू किए जाएं।