फलौदी 550 साल पुराना मंदिर बना आस्था का केंद्र
“फलौदी शहर में स्थित करीब 550 साल पुराने माँ लटियाल के मंदिर में आज चैत्रीय नवरात्रि पर घट स्थापना की गई”
03/10/2024 PB शब्द
फलौदी शहर में स्थित करीब 550 साल पुराने माँ लटियाल के मंदिर में आज चैत्रीय नवरात्रि पर घट स्थापना की गई। भक्तों का कहना है कि फलौदी में माँ की कृपा से आज दिन तक कोई संकट नही आया चाहे भारत पाक युद्ध हो या कोई आपदा,इसी लिए शहर वासियों के लिए ये मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है।
फलौदी शहर में स्थित करीब 550 साल पुराने मंदिर माँ लटियाल के मंदिर में आज चैत्रीय नवरात्रि में घट स्थापना की गई। इस अवसर पर विधि विधान और वैदिक मंत्रोचार के साथ घट स्थापना का कार्यक्रम आयोजित हुआ,वही मंदिर में घट स्थापना के बाद माँ की मंदिर में विशेष आरती भी हुई जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आरती में भाग लिया ,माँ के मंदिर में आगामी 9 दिनों तक माँ लटियाल माता के मंदिर सहित जिले भर में विभिन्न मंदिरों में अनेकों कार्यक्रम का आयोजन होगा।
लटियाल माँ के मंदिर में प्रतिदिन आरती के साथ मंदिर परिसर में हवन यज्ञ भी किया जाएगा। एवं भजन कीर्तन का भी कार्यक्रम होगा। साथ ही माँ के दरबार मे आज सुबह से ही बड़ी संख्या में भक्त पहुँचने शुरू हो गए है इस मंदिर का काफी पुराना इतिहास रहा है।
भक्तों का कहना है कि फलौदी में माँ की कृपा से आज दिन तक कोई भी संकट नही आया चाहे वह भारत पाक युद्ध हो या फिर अन्य कोई आपदा हो भक्त बताते है कि भारत पाक युद्ध के दौरान फलौदी में भी बम गिरे थे जो माँ की कृपा से फटे नही थे जो भक्त इसे माँ का चमत्कार ही मानते है,वही मंदिर परिसर में निर्माण के समय से मौजूद खेजड़ी का पेड़ आज भी हरा भरा है।
खेजडी के दो वृक्ष वटवृक्ष की तरह फैले हुए है जिसमें मां लटियाल का वास माना जाता है। यही कारण है कि आज भी यहां आने पर भक्तों को सुकून मिलता है।वही खेजड़ी के पेड़ से नाखून से भक्त सिलखे उखाड़कर ले जाते है जिसको श्रदालु अपने घर पर रखते है।इसकी भी एक मान्यता है।जिससे उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। जिसके चलते माँ लटियाल का मंदिर शहर वासियों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से भी पुख्ता इंतजाम किए गए है ताकि यहां आने वाले भक्तों को कोई परेशानी नही हो।