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क्या इजरायल ने गंवाया ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमले का सुनहरा मौका?

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार के सामने एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा हो गया है: क्या इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर संभावित हमले का सुनहरा मौका गंवा दिया है? इस प्रश्न का जवाब क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा की स्थिति को समझने में मदद करेगा, जिसमें हमास और हिजबुल्लाह जैसे समूहों की भूमिका भी शामिल है।

वर्तमान स्थिति

हाल के महीनों में, इजरायल ने अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ईरान के बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को सबसे बड़ा खतरा माना है। इजरायल का मानना है कि ईरान यदि सफलतापूर्वक परमाणु हथियार विकसित करता है, तो इससे क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल जाएगा और यह इजरायल के अस्तित्व के लिए खतरा बनेगा। इसी संदर्भ में, इजरायल ने कई बार ईरान के परमाणु ठिकानों को लक्षित करने की धमकी दी है।

हमास और हिजबुल्लाह की स्थिति

हाल ही में हमास और हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल के खिलाफ किए गए हमलों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। हमास के साथ चल रही संघर्ष की स्थिति में, इजरायल का ध्यान पूरी तरह से गाज़ा पट्टी और उसके आस-पास की सुरक्षा पर केंद्रित हो गया है। ऐसे में, ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कार्रवाई करने का सुनहरा मौका इजरायल के हाथ से निकलता दिख रहा है।

अमेरिकी समर्थन और दुविधा

इस स्थिति में अमेरिका की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। अमेरिका ने इजरायल को समर्थन देने का वादा किया है, लेकिन ईरान के साथ एक नया समझौता करने की कोशिशें भी चल रही हैं। अमेरिका का यह मानना है कि यदि ईरान के साथ वार्ता सफल होती है, तो यह परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इससे इजरायल के हमले की संभावनाएं और भी कम हो जाती हैं।

विश्लेषण: क्या इजरायल ने सुनहरा मौका गंवाया?

विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल के लिए यह एक नाजुक स्थिति है। अगर इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमले का निर्णय लिया होता, तो वह इस समय क्षेत्र में व्यापक समर्थन हासिल कर सकता था, खासकर हमास और हिजबुल्लाह की स्थिति को देखते हुए। लेकिन, अब जब इजरायल का ध्यान अन्य सुरक्षा खतरों पर केंद्रित हो गया है, तो ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कार्रवाई करना और भी मुश्किल हो गया है।

भविष्य की संभावनाएँ

आगे बढ़ते हुए, इजरायल को अपनी सुरक्षा रणनीतियों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए एक मजबूत और समन्वित वैश्विक प्रयास की आवश्यकता है। साथ ही, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना भी जरूरी होगा।

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