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नेतन्याहू ने युद्ध के बीच रक्षा मंत्री को क्यों हटाया: इजरायली सरकार में दरार की वजह

इज़राइल और हमास के बीच जारी संघर्ष के दौरान इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को हटाने का निर्णय लिया। ये फैसला ऐसे समय में आया है जब इज़राइल को मजबूत नेतृत्व की सख्त जरूरत है, जिससे इज़रायली सरकार में बड़ी दरारें साफ़ दिखाई दे रही हैं। इससे जुड़ी कई वजहें सामने आई हैं जो इजरायली राजनीति में मतभेदों को उजागर करती हैं।

प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार एक विवादास्पद न्यायिक सुधार योजना लेकर आई है, जो सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों को सीमित करती है। गैलेंट इस योजना के मुखर आलोचक थे। उनका मानना था कि इस वक्त सरकार को इस सुधार पर काम करने के बजाय युद्ध पर ध्यान देना चाहिए, ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके। गैलेंट ने कहा कि न्यायिक सुधारों से इज़राइल में जनविरोध भड़क सकता है, जो सुरक्षा के लिहाज से जोखिमपूर्ण है

गैलेंट के बयान के बाद इज़राइल में बड़े पैमाने पर जनता का विरोध देखा गया। देश के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए, जो सरकार की न्यायिक सुधार योजनाओं का विरोध कर रहे थे। कई रिजर्व फोर्स के सैनिकों ने भी इस निर्णय के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई। गैलेंट ने जनता और सशस्त्र बलों के असंतोष को देखते हुए नेतन्याहू को न्यायिक सुधार पर विचार करने की सलाह दी, जिससे नेतन्याहू असहमत थे।

नेतन्याहू के लिए गैलेंट का विरोध राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दे सकता था। उन्हें डर था कि गैलेंट की स्थिति उनके गठबंधन के अन्य नेताओं को भी प्रभावित कर सकती है। इसीलिए उन्होंने गैलेंट को पद से हटाकर अपने नेतृत्व को और मजबूत करने की कोशिश की। हालांकि, इस फैसले से नेतन्याहू की सरकार में एक नई दरार पैदा हो गई, जिससे उनकी सरकार की एकता पर सवाल उठ रहे हैं।

गैलेंट को हटाने के फैसले से इज़राइल में युद्ध के समय नेतृत्व संकट पैदा हो गया है। रक्षा मंत्रालय के नेतृत्व में अचानक बदलाव से इज़राइल की सुरक्षा तैयारियों पर असर पड़ सकता है। इस फैसले से इजरायली जनता में एक संदेश गया है कि नेतन्याहू सरकार की प्राथमिकताएं युद्ध के बजाय आंतरिक राजनीति को अधिक महत्व दे रही हैं।

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