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महाराष्ट्र चुनाव में संघ के साथ की जरूरत: देवेंद्र फडणवीस का बयान, नड्डा बोले- BJP अब RSS की मोहताज नहीं

महाराष्ट्र की राजनीति में आगामी चुनावों को लेकर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संबंधों पर चर्चा तेज हो गई है। हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया कि महाराष्ट्र में चुनावी जीत के लिए संघ के समर्थन की जरूरत है। दूसरी ओर, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि अब बीजेपी इतनी मजबूत हो चुकी है कि उसे चुनाव जीतने के लिए संघ की उतनी जरूरत नहीं है, जितनी पहले हुआ करती थी। ये विरोधाभासी बयान दोनों संगठनों के बीच बदलते संबंधों को दर्शाते हैं।

1. फडणवीस का बयान: संघ के सहयोग की अहमियत
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य में संघ का समर्थन बहुत जरूरी है। उनका मानना है कि आरएसएस के कैडर और कार्यकर्ता जमीन स्तर पर संगठन को मजबूती प्रदान करते हैं, जो चुनाव के दौरान मतदाताओं तक पार्टी की विचारधारा को पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। फडणवीस के अनुसार, संघ का जमीनी स्तर पर प्रभाव और उसकी नेटवर्किंग बीजेपी को चुनावी रणनीति में बड़ा समर्थन प्रदान करती है।

2. जेपी नड्डा का बयान: बीजेपी की स्वतंत्र पहचान
दूसरी तरफ, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के विस्तार और ताकत का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी अब इतनी सक्षम हो चुकी है कि उसे हर चुनाव में आरएसएस की मोहताज होने की आवश्यकता नहीं है। नड्डा का यह बयान बीजेपी की स्वतंत्र पहचान और उसकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। उनका मानना है कि अब बीजेपी के पास अपना कैडर, नेटवर्क और समर्थक आधार है, जो उसे हर स्तर पर मजबूती देता है।

3. बदलते संबंध और आत्मनिर्भरता का दावा
बीजेपी और आरएसएस के बीच का यह संबंध समय के साथ बदला है। आरएसएस ने हमेशा बीजेपी को वैचारिक मार्गदर्शन और संगठनात्मक समर्थन दिया है। लेकिन जैसे-जैसे बीजेपी का विस्तार हुआ, पार्टी ने खुद को हर राज्य में मजबूत करने की कोशिश की है। नड्डा के बयान से यह संदेश मिलता है कि बीजेपी अब एक स्वतंत्र संगठन बन चुकी है, जबकि फडणवीस का नजरिया बताता है कि संघ का सहयोग अभी भी स्थानीय चुनावों में कारगर साबित हो सकता है।

4. महाराष्ट्र चुनाव की चुनौतियाँ
महाराष्ट्र में आगामी चुनाव बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं। एनसीपी और शिवसेना जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन टूटने और राज्य में स्थानीय मुद्दों के बढ़ने के कारण बीजेपी को स्थानीय स्तर पर संघ जैसे प्रभावशाली संगठन की मदद की आवश्यकता महसूस हो सकती है। संघ के पास कार्यकर्ताओं का एक विशाल नेटवर्क है, जो चुनावी माहौल में मतदाताओं तक पहुँचने में कारगर साबित होता है।

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