वक्फ बिल को JPC में भेजने पर सरकार का फैसला: बैठक में विपक्ष के असंतोष पर स्मृति ईरानी का बयान
वक्फ संपत्ति से जुड़े विवादों और इसके प्रशासन को लेकर देश में लंबे समय से मुद्दे उठते रहे हैं। इस पर नियंत्रण और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन बिल 2023 पेश किया था। हालांकि, संसद की बैठक में इस बिल पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई, जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने का निर्णय लिया गया। इस विषय पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बैठक में विपक्ष को जवाब दिया और बिल के महत्व को रेखांकित किया।
1. विपक्ष की आपत्तियाँ
बैठक में विपक्षी नेताओं ने वक्फ बिल पर कई सवाल उठाए। उनका आरोप था कि सरकार बिना पर्याप्त विचार-विमर्श और राज्यों से परामर्श किए हुए बिल को जबरन पारित करना चाहती है। विपक्षी सांसदों का मानना है कि बिल के प्रावधानों से अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्ति को लेकर विवाद बढ़ सकते हैं। इस विषय पर अधिक गहन विचार और समझ की जरूरत है, इसलिए उन्होंने बिल को संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की।
2. स्मृति ईरानी का बयान
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार किसी समुदाय विशेष के अधिकारों का हनन नहीं करना चाहती। उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्ति से जुड़े विवादों के निपटारे और प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए यह बिल आवश्यक है। ईरानी ने कहा कि सरकार अल्पसंख्यक समुदायों की संपत्ति की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और विपक्ष को बिल के उद्देश्यों पर सवाल उठाने के बजाय इसमें सहयोग करना चाहिए।
3. बिल को JPC में भेजने का फैसला
स्मृति ईरानी ने विपक्ष के असंतोष को ध्यान में रखते हुए यह घोषणा की कि वक्फ बिल को अब संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाएगा। इससे बिल पर व्यापक चर्चा और सभी पक्षों की राय ली जा सकेगी। ईरानी का कहना था कि JPC में बिल पर विस्तार से चर्चा होगी, ताकि सभी दलों की चिंताओं का समाधान किया जा सके।
4. वक्फ बिल के प्रावधानों पर असहमति
बिल के प्रावधानों में वक्फ संपत्ति पर कानूनी नियंत्रण को बढ़ाने की बात कही गई है, जिसमें वक्फ बोर्डों की जवाबदेही बढ़ाने के प्रावधान भी शामिल हैं। लेकिन विपक्षी दलों को लगता है कि सरकार इसके जरिए अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्तियों पर अनावश्यक हस्तक्षेप कर सकती है। इसलिए JPC में बिल भेजने का फैसला विपक्ष के साथ-साथ सरकार के लिए भी एक समझौते जैसा है, ताकि सभी मुद्दों पर संतुलन बनाया जा सके।