2 साल के बच्चे के हाथ में नहीं देना चाहिए फोन, जानें 6 साल की उम्र में स्क्रीन टाइम की सही लिमिट

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नई दिल्ली: आजकल के डिजिटल युग में बच्चों के हाथों में फोन या टैबलेट देना आम बात हो गई है। कई माता-पिता अपने बच्चों को चुप कराने या उनका ध्यान बंटाने के लिए फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस दे देते हैं। हालांकि, बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए यह आदत काफी हानिकारक हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, खासकर 2 साल से कम उम्र के बच्चों के हाथ में फोन देना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है।
2 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम क्यों खतरनाक?
बच्चों का मस्तिष्क शुरुआती वर्षों में तेजी से विकास करता है। इस समय, उन्हें स्क्रीन पर बिताने की बजाय खेल, बातचीत, और किताबों से ज्ञान अर्जित करना चाहिए। स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चों में निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:
- दृष्टि की समस्या: फोन या टैबलेट की स्क्रीन पर लगातार ध्यान केंद्रित करने से बच्चों की आंखों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- भाषा और संवाद: स्क्रीन के जरिए मिलने वाली जानकारी एकतरफा होती है, जिससे बच्चों की संवाद और भाषा क्षमता का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता।
- मानसिक विकास में बाधा: इंटरैक्टिव खेल और वास्तविक दुनिया के अनुभवों के बजाय स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चों के मस्तिष्क का सही विकास नहीं हो पाता।
6 साल की उम्र में स्क्रीन टाइम की सही सीमा
6 साल तक के बच्चों के लिए भी स्क्रीन टाइम को सीमित रखना बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार, 2 से 6 साल के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की अनुशंसित सीमा 1 घंटे तक होनी चाहिए। यह समय गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सामग्री देखने या परिवार के साथ समय बिताने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों के स्क्रीन टाइम के दौरान कोई हिंसात्मक या असामाजिक कंटेंट न हो।
स्क्रीन टाइम को सीमित करने के टिप्स
- परिवार के साथ समय बिताएं: बच्चों के लिए स्क्रीन से अधिक महत्वपूर्ण माता-पिता के साथ बातचीत और खेलकूद होता है।
- बच्चों को बाहरी गतिविधियों में शामिल करें: बाहर खेलना, दौड़ना और अन्य शारीरिक गतिविधियां बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए फायदेमंद होती हैं।
- स्क्रीन टाइम के लिए नियम बनाएं: बच्चों के स्क्रीन टाइम के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें और उस पर सख्ती से पालन करें।
- स्क्रीन का विकल्प दें: किताबें पढ़ना, आर्ट और क्राफ्ट जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दें ताकि बच्चों की रचनात्मकता और सोचने की क्षमता का विकास हो सके।