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Chhath Puja 2024: छठी मईया कौन हैं? जानें उनकी शक्तियां और पूजा का महत्व

छठ पूजा भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र त्योहारों में से एक है, जो मुख्यतः बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में मनाया जाता है। इस त्योहार में सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की जाती है। लेकिन छठी मईया कौन हैं और उनके प्रति श्रद्धा क्यों है? इस आस्था के पीछे की कहानी और उनकी शक्तियों के बारे में जानना बेहद रोचक है।

1. कौन हैं छठी मईया?
छठी मईया को देवी उषा का स्वरूप माना जाता है, जो भगवान सूर्य की बहन हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मईया जीवन में संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए पूजी जाती हैं। उनके बारे में यह भी मान्यता है कि वे पृथ्वी की सभी संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद देती हैं। उन्हें हिंदू धर्म में “षष्ठी” देवी भी कहा जाता है, जिनकी पूजा नवजात शिशु की छठे दिन होती है।

2. छठी मईया की शक्तियाँ
छठी मईया को विशेष रूप से मातृत्व की देवी माना जाता है। उनके आशीर्वाद से संतान का सुख और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ऐसा माना जाता है कि वे अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं और परिवार को समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। छठ पूजा में सूर्य देव के साथ उनकी आराधना इसलिए की जाती है क्योंकि छठी मईया सूर्य देव की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो जीवनदायिनी ऊर्जा के रूप में है।

3. छठ पूजा का महत्व और प्रक्रिया
छठ पूजा चार दिनों तक चलती है, जिसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य शामिल हैं। छठ के तीसरे दिन यानी संध्या अर्घ्य पर श्रद्धालु अस्त होते हुए सूर्य को जल अर्पित करते हैं, जबकि चौथे दिन उषा अर्घ्य के साथ उगते हुए सूर्य की पूजा की जाती है। इन दिनों में छठी मईया की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। भक्त कठिन व्रत और उपवास के साथ शुद्धता और सात्विकता का पालन करते हैं।

4. किस देवी के रूप में होती है पूजा?
छठ पूजा के दौरान छठी मईया की पूजा विशेष तौर पर सूर्य की शक्तिशाली ऊर्जा के रूप में होती है। उन्हें मातृरूपा देवी के तौर पर भी देखा जाता है, जो नवजात बच्चों की रक्षा करती हैं। उनकी पूजा का यह तरीका पारिवारिक कल्याण, संतान सुख और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है।

5. छठी मईया की पूजा का आध्यात्मिक महत्व
छठ पूजा का आध्यात्मिक पहलू भी बहुत गहरा है। इस पूजा में भक्त अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए कठिन तपस्या करते हैं। यह व्रत न सिर्फ शारीरिक शुद्धि का प्रतीक है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग है। छठी मईया की कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि आती है।

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