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सेंधा नमक का अधिक उपयोग: थायराइड विकार का संभावित खतरा और बचाव के उपाय

सेंधा नमक और थायराइड के बीच संबंध

सेंधा नमक का उपयोग भारतीय किचन में काफी आम है, खासकर व्रत के दौरान। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसका अधिक मात्रा में सेवन थायराइड विकारों का कारण बन सकता है। सेंधा नमक में आयोडीन की कमी होती है, जो थायराइड ग्रंथि के सुचारू कार्य के लिए आवश्यक है।

थायराइड विकार का खतरा क्यों बढ़ता है?

थायराइड ग्रंथि के सही तरीके से काम करने के लिए आयोडीन बेहद जरूरी है। जब आयोडीन की कमी होती है, तो यह हाइपोथायरायडिज्म और ग्वाइटर जैसे विकारों का कारण बन सकती है। सेंधा नमक आयोडीन-युक्त नमक का विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि इसमें आयोडीन स्वाभाविक रूप से नहीं पाया जाता।

विशेषज्ञों की राय

डॉक्टरों और पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, सेंधा नमक का सीमित मात्रा में उपयोग करना चाहिए। आयोडीन की कमी से बचने के लिए आयोडीन युक्त नमक को अपनी नियमित डाइट में शामिल करना जरूरी है।

बचाव के तरीके

  1. आयोडीन युक्त नमक का उपयोग: दैनिक खाना पकाने के लिए आयोडीन-युक्त नमक का उपयोग करें।
  2. संतुलित आहार: थायराइड के सुचारू कार्य के लिए आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, और समुद्री मछलियों का सेवन करें।
  3. सेंधा नमक का सीमित उपयोग: इसे केवल विशेष मौकों या व्रत में इस्तेमाल करें।
  4. स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से थायराइड टेस्ट कराएं ताकि किसी भी समस्या का पता समय पर लगाया जा सके।

सेंधा नमक के फायदे और सीमाएं

हालांकि सेंधा नमक में कई खनिज और लाभकारी गुण होते हैं, लेकिन इसे आयोडीन-युक्त नमक का विकल्प मानना सही नहीं है। थायराइड विकारों से बचने के लिए संतुलित आहार और उचित नमक का चयन करना जरूरी है।

सेंधा नमक का अधिक उपयोग आपकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, खासकर थायराइड ग्रंथि पर। आयोडीन युक्त नमक और संतुलित आहार अपनाकर आप इस समस्या से बच सकते हैं।

सेहतमंद जीवन के लिए सही जानकारी और संतुलित आहार का चयन करें।

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