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पिछले 25 वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था की शानदार प्रगति

“भारतीय अर्थव्यवस्था ने बीते 25 सालों में अभूतपूर्व प्रगति की है। 1990 के दशक की शुरुआत में भारत आर्थिक सुधारों के दौर से गुजरा और आज यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो चुका है। इस विकास यात्रा में औद्योगिकीकरण, तकनीकी प्रगति और सेवा क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।”


कैसे बदली भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर?

  1. आर्थिक सुधार और उदारीकरण:
    • 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद भारत में विदेशी निवेश और व्यापार को प्रोत्साहन मिला।
    • भारतीय कंपनियों ने वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना शुरू किया।
  2. सेवा क्षेत्र का उभार:
    • आईटी और बीपीओ जैसे सेवा क्षेत्रों ने वैश्विक बाजार में भारत को अलग पहचान दिलाई।
    • सेवा क्षेत्र ने GDP में बड़ा योगदान दिया।
  3. मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे पहल:
    • ‘मेक इन इंडिया’ ने औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा दिया।
    • ‘डिजिटल इंडिया’ ने डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति दी।
  4. स्टार्टअप संस्कृति का विकास:
    • पिछले एक दशक में भारत ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है।
    • भारत अब यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है।

आंकड़ों में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति

  • 1997 में भारत की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 400 बिलियन डॉलर था, जो 2023 में 3.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2019 में यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ते हुए पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त किया।
  • IMF के अनुसार, 2024-25 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.5% रहने की उम्मीद है।

आर्थिक प्रगति के मुख्य कारण

  1. वैश्विक व्यापार में भारत की भागीदारी:
    • निर्यात में वृद्धि और व्यापार संतुलन में सुधार।
  2. सरकारी योजनाएं और नीतियां:
    • GST, DBT, और अन्य सुधारों ने व्यवसाय को आसान बनाया।
  3. कृषि और ग्रामीण विकास:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और कृषि में सुधार ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया।

चुनौतियां और आगे का रास्ता

भारतीय अर्थव्यवस्था ने जहां शानदार प्रगति की है, वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं:

  • बेरोजगारी: रोजगार के नए अवसर सृजित करना।
  • मुद्रास्फीति: कीमतों को नियंत्रित रखना।
  • आय असमानता: गरीब और अमीर के बीच की खाई को पाटना।

आगे चलकर, भारत को स्थायी विकास के लिए हरित ऊर्जा, डिजिटल नवाचार और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करना होगा।


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