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2025-26 में खरीफ फसलों के MSP में बड़ी बढ़ोतरी: किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में कदम

खरीफ फसलों के MSP में वृद्धि की दिशा में सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने 2025-26 विपणन सत्र के लिए 14 प्रमुख खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। यह कदम न केवल किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने की ओर है, बल्कि फसल विविधता और पोषण सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करेगा।

कौन-कौन सी फसलों के MSP में कितनी वृद्धि हुई?

सबसे अधिक MSP वृद्धि पाने वाली फसलें

  • नाइजर सीड (रामतिल): ₹820 प्रति क्विंटल
  • रागी: ₹596 प्रति क्विंटल
  • कपास: ₹589 प्रति क्विंटल
  • तिल (सेसम): ₹579 प्रति क्विंटल

मुख्य अनाजों में बढ़ोतरी

  • धान: ₹69 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी
  • मक्का: लाभांश के अनुसार 59% लाभ संभावित

दालों में MSP में इज़ाफा

  • तूर (अरहर): ₹450 प्रति क्विंटल
  • मूंग: ₹86 प्रति क्विंटल
  • उड़द: ₹400 प्रति क्विंटल

तिलहनों की बात करें तो

  • मूंगफली: ₹480 प्रति क्विंटल
  • सूरजमुखी बीज: ₹441 प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन: ₹436 प्रति क्विंटल

किसानों को लागत पर मिलेगा बेहतर लाभ

सरकार का यह फैसला 2018-19 के केंद्रीय बजट के उस वादे को पूरा करता है जिसमें कहा गया था कि MSP कम से कम उत्पादन लागत का 1.5 गुना होगा। इस नीति का उद्देश्य है कि किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिले।

  • बाजरा: 63% तक लाभ का अनुमान
  • तूर और मक्का: 59% लाभ
  • उड़द: 53% लाभ
  • अन्य फसलों में भी न्यूनतम 50% लाभांश की उम्मीद है।

सरकार का उद्देश्य: आय, पोषण और विविधता में संतुलन

सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह पिछले कुछ वर्षों से विशेष रूप से दालों, तिलहनों और पोषक-अनाजों (श्री अन्न) को प्रोत्साहित कर रही है। इन फसलों का MSP अन्य फसलों की तुलना में अधिक रखा गया है। इसका उद्देश्य केवल आय बढ़ाना नहीं है, बल्कि पोषण सुरक्षा और फसल विविधता को भी बढ़ावा देना है।

MSP में वृद्धि का असर: खरीद और भुगतान में भारी बढ़ोतरी

खरीद में बढ़ोतरी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक (2014-15 से 2024-25) में:

  • धान की कुल खरीद: 7,608 लाख मीट्रिक टन (LMT)
  • पिछले दशक (2004-05 से 2013-14): 4,590 LMT

14 खरीफ फसलों की कुल खरीद:

  • वर्तमान दशक: 7,871 LMT
  • पिछला दशक: 4,679 LMT

MSP भुगतान में बढ़ोतरी

  • धान किसानों को भुगतान: ₹14.16 लाख करोड़ (2014-2024)
  • पिछला दशक: ₹4.44 लाख करोड़

सभी 14 खरीफ फसलों का MSP भुगतान:

  • वर्तमान: ₹16.35 लाख करोड़
  • पिछला दशक: ₹4.75 लाख करोड़

खरीफ, रबी और गर्मी: भारत का फसल चक्र

भारत में तीन मुख्य फसल चक्र होते हैं:

  1. खरीफ फसलें: जून-जुलाई में बोई जाती हैं, अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती हैं।
  2. रबी फसलें: अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती हैं, जनवरी-मार्च में कटाई होती है।
  3. गर्मी की फसलें: रबी और खरीफ के बीच उगाई जाती हैं।

खरीफ की फसलें मानसून पर निर्भर होती हैं, इसलिए MSP की घोषणा पहले से की जाती है ताकि किसान फसल चयन बेहतर ढंग से कर सकें।

MSP में बढ़ोतरी से क्या होंगे लाभ?

किसानों के लिए फायदे

  • सुनिश्चित न्यूनतम मूल्य से आर्थिक सुरक्षा
  • उत्पादन लागत से अधिक कीमत मिलने की गारंटी
  • फसल विविधता अपनाने का प्रोत्साहन

देश के लिए फायदे

  • आयात पर निर्भरता में कमी
  • पोषण सुरक्षा में सुधार
  • आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

2025-26 के लिए खरीफ फसलों के MSP में वृद्धि न केवल कृषि क्षेत्र को मजबूती देगी, बल्कि यह निर्णय किसानों की मेहनत को सम्मान देने का प्रतीक भी है। बढ़ा हुआ MSP खेती को लाभदायक बना सकता है, जिससे युवा भी इस क्षेत्र में भविष्य देख सकें। साथ ही, यह कदम कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को और मजबूती प्रदान करेगा।

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