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माघ बिहू 2025: असम में फसल उत्सव की धूम, पारंपरिक पकवानों और सामूहिक भोज की तैयारियां जोरों पर

असम में माघ बिहू या भोगाली बिहू का फसल उत्सव पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। ठंड भरी सर्दियों के बावजूद राज्य में लोग पारंपरिक पकवानों की खरीदारी और सामूहिक भोज की तैयारियों में जुटे हैं। बाजारों में रौनक बढ़ गई है, जहां लोग पिठा, लड्डू, ताजा मलाई, गाढ़ी दही और शहद जैसे विशेष पकवान खरीद रहे हैं।”

बाजारों में उमड़ी भीड़

गुवाहाटी के बाजारों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है। हर घर में माघ बिहू की तैयारियां चल रही हैं। यह असम का सबसे बड़ा त्योहार है, जो कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक है। इस त्योहार का मुख्य आकर्षण सामूहिक भोज होता है, जिसे लोग बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।

उरुका: सामूहिक भोज की परंपरा

माघ बिहू से एक दिन पहले की रात को ‘उरुका’ कहा जाता है। इस दिन लोग सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और मिल-जुलकर त्योहार की खुशियां मनाते हैं। सोमवार को असम में उरुका मनाया जा रहा है।

मेजी जलाने की परंपरा

माघ बिहू के दिन मंगलवार को अग्निदेव को धन्यवाद देने के लिए मेजी (समारोहिक अलाव) जलाया जाता है। लोग सामूहिक रूप से मेजी जलाते हैं और पारंपरिक गीतों व नृत्यों के साथ त्योहार का आनंद लेते हैं। यह त्योहार तिब्बती-बर्मी सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है और सामुदायिक मेलजोल का प्रतीक है।

माजुली और जोरहाट में विशेष तैयारियां

दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली और इसके पास स्थित जोरहाट जिले में भी माघ बिहू की तैयारियां जोरों पर हैं। महिलाएं तिल पिठा, घिला पिठा और अन्य पारंपरिक नाश्ते बनाने में व्यस्त हैं। वहीं, युवा और बड़े मिलकर बांस और सूखी घास से भेला घर बना रहे हैं। इन भेला घरों में लोग रातभर भोज करते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं।

माघ बिहू असम का एक महत्वपूर्ण फसल उत्सव है, जो सामुदायिक मेलजोल और परंपराओं का प्रतीक है। यह त्योहार न केवल कृषि समुदाय की मेहनत का सम्मान करता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी देता है

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