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भारत में पाई जाने वाली दुर्लभ बीमारियां और उनकी जागरूकता का महत्व

दुनियाभर में कई दुर्लभ बीमारियां (Rare Diseases) मौजूद हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या बेहद कम होती है, जिससे इनका निदान और उपचार चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इन्हीं बीमारियों को लेकर जागरूकता बढ़ाने और पीड़ित लोगों की पहचान करने के उद्देश्य से हर साल रेयर डिजीज डे (Rare Disease Day 2025) मनाया जाता है।

भारत में पाई जाने वाली कुछ दुर्लभ बीमारियां

1. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy)

यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं। इस बीमारी का अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन फिजियोथेरेपी और अन्य उपचारों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

2. गौचर डिजीज (Gaucher Disease)

यह एक आनुवंशिक विकार है, जिसमें लिवर और तिल्ली में फैट जमा होने लगता है। यह बीमारी शरीर की एंजाइम प्रक्रिया को प्रभावित करती है और हड्डियों व अंगों में दर्द पैदा कर सकती है।

3. हंटिंगटन डिजीज (Huntington’s Disease)

यह मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली दुर्लभ बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और मूवमेंट पर असर पड़ता है। यह बीमारी वंशानुगत होती है।

4. हेमोफीलिया (Hemophilia)

इस बीमारी में रक्त का थक्का जमने की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे मामूली चोट लगने पर भी अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। यह बीमारी अधिकतर पुरुषों में पाई जाती है।

5. फेनिलकेटोनूरिया (Phenylketonuria – PKU)

यह एक जन्मजात चयापचय विकार है, जिसमें शरीर एक विशेष अमीनो एसिड (फेनिलएलनिन) को तोड़ नहीं पाता, जिससे मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है।

रेयर डिजीज डे मनाने का उद्देश्य

  • बीमारियों की पहचान करना और उनके इलाज के लिए शोध को बढ़ावा देना।
  • लोगों को दुर्लभ बीमारियों के लक्षण और प्रभाव के बारे में जानकारी देना।
  • सरकार और स्वास्थ्य संगठनों से इन बीमारियों के इलाज के लिए नीति बनाने की अपील करना।

भारत में दुर्लभ बीमारियों की चुनौतियां

भारत में दुर्लभ बीमारियों को लेकर अस्पतालों में जागरूकता की कमी, महंगे इलाज और सीमित शोध जैसी चुनौतियां मौजूद हैं। हालांकि, सरकार द्वारा कई योजनाएं और उपचार केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं ताकि इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को बेहतर चिकित्सा सहायता मिल सके।

रेयर डिजीज डे 2025 का मुख्य उद्देश्य इन दुर्लभ बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पीड़ितों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। हमें इन बीमारियों को समझने और इनके निदान के लिए जागरूकता फैलाने में अपना योगदान देना चाहिए।

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