अब बच्चा नहीं चाहती हैं महिलाएं, वजह जानकर गुस्से के साथ तरस आएगा
आजकल महिलाएं अपने जीवन में विभिन्न कारणों से बच्चे नहीं चाहती हैं, और इसके पीछे कुछ गंभीर सामाजिक और व्यक्तिगत कारण हैं। जब से महिलाओं में जागरूकता और शिक्षा का स्तर बढ़ा है, तब से उनका दृष्टिकोण और जीवन की प्राथमिकताएं भी बदल गई हैं। महिलाओं के लिए बच्चे न चाहने का फैसला केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि यह समग्र समाज की सोच और सरकारों की नीतियों पर भी सवाल उठाता है।
1. आर्थिक दबाव और करियर की प्राथमिकता
आज के समय में महिलाएं आर्थिक स्वतंत्रता और करियर को अपनी प्राथमिकता बना चुकी हैं। शिक्षा और नौकरी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है, और वे अपने करियर में स्थिरता और सफलता चाहती हैं। बच्चों की देखभाल, उनके लिए समय निकालने और घर-परिवार के कामों को संभालने में कई महिलाएं आर्थिक दबाव महसूस करती हैं, जिससे वे बच्चा न पैदा करने का फैसला करती हैं।
2. स्वास्थ्य और शारीरिक समस्याएं
स्वास्थ्य की वजह से भी कई महिलाएं बच्चा नहीं चाहती हैं। आधुनिक जीवनशैली और खानपान की आदतों ने महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। कई महिलाएं हार्मोनल समस्याएं, प्रजनन संबंधी बीमारियां और शारीरिक थकान के कारण बच्चों के जन्म से बचने का फैसला करती हैं।
3. समाज में बढ़ता असुरक्षा का माहौल
वर्तमान में देश में सामाजिक असुरक्षा और बच्चों की सुरक्षा को लेकर महिलाओं में चिंता बढ़ गई है। बढ़ते अपराध, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा और बाल यौन शोषण की घटनाओं ने महिलाओं को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या वे अपनी संतानों को एक सुरक्षित और खुशहाल भविष्य दे सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप, कई महिलाएं बच्चे न रखने का फैसला कर रही हैं।
4. समाज से मिले दबाव और मानसिक तनाव
भारतीय समाज में पारंपरिक सोच और अपेक्षाओं के कारण महिलाओं पर दबाव रहता है। यदि किसी महिला ने बच्चा न पैदा करने का फैसला किया, तो उसे अक्सर समाज द्वारा गलत नजरों से देखा जाता है। यह मानसिक तनाव और दबाव महिला की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। इसके बावजूद कई महिलाएं मानसिक शांति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की खातिर बच्चे न पैदा करने का फैसला करती हैं।
5. प्राकृतिक संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय चिंता
प्राकृतिक संसाधनों की कमी और पर्यावरणीय संकट के कारण भी महिलाएं बच्चों की संख्या कम रखने या न रखने का फैसला कर रही हैं। कई महिलाएं और युवा दंपत्ति यह महसूस करते हैं कि बच्चों को बड़ा करना और उन्हें अच्छे से पढ़ाना-लिखाना संवेदनशील मुद्दा बन सकता है, क्योंकि प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी जैसी समस्याएं बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं।
6. अविकसित स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी नीतियों की कमी
कुछ महिलाएं ऐसे देशों या क्षेत्रों में रहती हैं जहां स्वास्थ्य सेवाएं उचित नहीं हैं और सरकारी नीतियां बच्चों के स्वास्थ्य और देखभाल के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इस वजह से वे बच्चों के जन्म को जोखिमपूर्ण मानती हैं और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बच्चों का जन्म टाल देती हैं।
7. समाजिक दबाव और जेंडर असमानता
अभी भी कई जगहों पर महिलाओं को परिवार और समाज में जेंडर असमानता का सामना करना पड़ता है। घर-परिवार की जिम्मेदारियां और बच्चों की देखभाल का काम अकेले महिलाएं ही करती हैं, जिससे उन्हें मानसिक और शारीरिक थकान होती है। यह असमानता उन्हें बच्चों का बोझ महसूस कराती है, और परिणामस्वरूप वे बच्चों के जन्म से बचने का फैसला करती हैं।
इन कारणों से महिलाओं का बच्चा न चाहने का निर्णय गुस्से और तरस के साथ देखने को मिलता है, क्योंकि इस समाज में महिलाओं को अपनी इच्छाओं और निर्णयों को चुनने में एक लंबी यात्रा तय करनी पड़ती है। इसे समाज, सरकार और परिवार को समझने की जरूरत है, ताकि महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता, मानसिक शांति, और समाज में सम्मान मिल सके।