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भारत में खुदरा महंगाई दर में गिरावट: आर्थिक स्थिरता की ओर एक कदम

भारत की खुदरा महंगाई दर फरवरी 2024 में घटकर 3.61% हो गई, जो पिछले 7 महीनों में सबसे कम स्तर पर है। जनवरी 2024 में यह दर 4.26% थी, जिससे फरवरी में 0.65% की गिरावट दर्ज की गई। यह जुलाई 2024 के बाद का सबसे निचला स्तर है, जिससे आम जनता और उद्योगों को राहत मिली है।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट

महंगाई दर में गिरावट का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई कमी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2024 में कई आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई:

  • अदरक: -35.81%
  • जीरा: -28.77%
  • टमाटर: -28.51%
  • फूलगोभी: -21.19%
  • लहसुन: -20.32%

खाद्य महंगाई दर मई 2023 के बाद के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, जिससे उपभोक्ताओं को सीधा लाभ हुआ। यह कमी किसानों और व्यापारियों के लिए भी फायदेमंद रही, क्योंकि इससे बाजार में संतुलन बना रहा।

ईंधन की कीमतों में कमी

फरवरी 2024 में ईंधन की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई। तेल और गैस की कीमतों में कमी से परिवहन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को राहत मिली, जिससे औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

RBI की नीतिगत प्रतिक्रिया और ब्याज दरों में कटौती

अब जब खुदरा महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4% लक्ष्य से नीचे आ गई है, तो केंद्रीय बैंक के पास ब्याज दरों में कटौती करने का अवसर बढ़ गया है। इससे:

  • ऋण सस्ता होगा
  • व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा
  • रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी

ब्याज दरों में कटौती

पिछले महीने, RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नीतिगत ब्याज दर में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती की थी, जिससे रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गई। यह फैसला वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच लिया गया, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके

RBI गवर्नर ने यह भी कहा कि आने वाले महीनों में महंगाई दर और घटने की संभावना है, जिससे यह धीरे-धीरे 4% लक्ष्य के और करीब आ सकती है

मौद्रिक नीति समिति (MPC) का रुख

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने निष्पक्ष नीति (Neutral Stance) बनाए रखने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य महंगाई को नियंत्रण में रखना और आर्थिक विकास को गति देना है। इससे:

  • बिजनेस सेक्टर को फायदा होगा
  • उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा
  • होम लोन और अन्य ऋण सस्ते होंगे

आर्थिक विकास और बाजार पर असर

1. उद्योगों और व्यापार को राहत

महंगाई में गिरावट से विनिर्माण (Manufacturing) और सेवा क्षेत्र को फायदा मिलेगा।

  • कच्चे माल की लागत कम होने से उत्पादन लागत घटेगी
  • उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे खुदरा बिक्री में वृद्धि होगी

2. स्टॉक मार्केट में सकारात्मक रुझान

ब्याज दरों में कटौती और महंगाई में गिरावट से शेयर बाजार में सकारात्मक संकेत देखने को मिल सकते हैं। निवेशक बढ़े हुए उपभोक्ता खर्च और व्यापारिक वृद्धि के कारण भारतीय कंपनियों में अधिक निवेश कर सकते हैं।

3. आम जनता को राहत

खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में कमी से घरेलू बजट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उपभोक्ता अब:

  • बचत बढ़ा सकते हैं
  • अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

आने वाले महीनों में संभावित सुधार:

  • खाद्य महंगाई दर में और कमी हो सकती है।
  • RBI की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में और कटौती हो सकती है।
  • सरकार आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए नीतिगत सुधार जारी रख सकती है।

संभावित चुनौतियां:

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अनिश्चितता।
  • जलवायु परिवर्तन और कृषि उत्पादन पर प्रभाव।
  • मुद्रास्फीति में अचानक वृद्धि की संभावना।

भारत में खुदरा महंगाई दर में गिरावट एक सकारात्मक संकेत है, जिससे आम जनता को राहत मिली है और आर्थिक स्थिरता की ओर कदम बढ़ा है। खाद्य और ईंधन की कीमतों में कमी, ब्याज दरों में कटौती, और RBI की मौद्रिक नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है।

आने वाले महीनों में, यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भारत में औद्योगिक विकास, व्यापार, और रोजगार के नए अवसरों में वृद्धि होगी। सरकार और RBI की ओर से लिए गए निर्णय आर्थिक सुधार को और मजबूत करने में सहायक होंगे।

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