राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन का नाम बदला, अब होगा ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन’
“देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने और पोषण सुधारने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। वर्ष 2024-25 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) का नाम बदलकर ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSNM)’ कर दिया गया है। यह परिवर्तन महज एक नाम का बदलाव नहीं, बल्कि नीति और दृष्टिकोण के व्यापक विस्तार का संकेत है।“
क्या है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (NFSNM)?
यह मिशन देशभर में दालें, पोषक अनाज, चावल, गेहूं और मोटे अनाज (श्री अन्न) जैसे खाद्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लागू किया जा रहा है। इस योजना को कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से लागू करता है।
नाम में बदलाव क्यों?
पूर्व में NFSM केवल खाद्य सुरक्षा यानी उत्पादन वृद्धि पर केंद्रित था। अब नए नाम NFSNM में “पोषण” शब्द जोड़ने से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार का उद्देश्य केवल भरपेट खाना नहीं, बल्कि संतुलित और पोषक आहार सुनिश्चित करना भी है।
योजना का उद्देश्य
- देश में पोषण युक्त फसलों का उत्पादन बढ़ाना
- किसानों को आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और सहायता देना
- स्थानीय खाद्य जरूरतों और कृषि जलवायु के अनुसार लचीलापन देना
- जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कृषि प्रणाली विकसित करना
- मोटे अनाज (श्री अन्न) को बढ़ावा देना, जिससे कुपोषण और मधुमेह जैसी बीमारियों से निपटा जा सके
किसे मिलेगा लाभ?
यह योजना विशेष रूप से उन लघु और सीमांत किसानों के लिए है, जो दालों, मोटे अनाज और पोषक अनाजों की खेती करते हैं। इसके अलावा, इसका लाभ उन किसानों को भी मिलेगा जो बीज उत्पादन, प्रशिक्षण और कीट प्रबंधन जैसे कार्यों में भाग लेते हैं।
योजना के अंतर्गत क्या-क्या मिलेगा?
कृषि राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने संसद में बताया कि इस योजना के तहत किसानों को निम्नलिखित क्षेत्रों में सहायता दी जाएगी:
फसल उत्पादन तकनीकें
किसानों को नवीनतम और स्थानीय अनुकूल तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे उत्पादन को बढ़ा सकें।
फसल प्रणाली आधारित प्रदर्शन
जमीन की गुणवत्ता, मौसम और पानी की उपलब्धता के आधार पर मल्टी-क्रॉपिंग सिस्टम अपनाने का सुझाव और सहायता।
नई बीज किस्मों का वितरण
नई किस्मों और संकर बीजों का प्रमाणित वितरण, जिससे उपज अधिक हो और रोगों का खतरा कम।
पोषक तत्व और कीट प्रबंधन
फसलों में पोषण संतुलन बनाए रखने और कीटों से सुरक्षा के लिए जैविक व वैज्ञानिक उपायों का प्रशिक्षण।
किसानों की क्षमता निर्माण
फसल मौसम के दौरान फील्ड स्तर पर प्रशिक्षण, डेमो प्लॉट्स, कृषि मेले और किसान संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से जानकारी का आदान-प्रदान।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) से लचीलापन
NFSNM के अलावा, भारत सरकार PM-RKVY योजना के तहत राज्यों को अतिरिक्त लचीलापन प्रदान करती है। इसके अंतर्गत:
- राज्य की स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाएं बना सकते हैं
- राज्य स्तरीय मंजूरी समिति (SLSC) की अनुमति से कार्यान्वयन होता है
- मोटे अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, रागी (श्री अन्न) को प्राथमिकता दी जाती है
श्री अन्न को क्यों बढ़ावा मिल रहा है?
मोटे अनाज जैसे बाजरा, रागी, ज्वार, कोदो, सांवा, कुटकी आदि को अब ‘श्री अन्न’ के नाम से पुकारा जा रहा है। ये अनाज:
- स्वस्थ और पोषण युक्त होते हैं
- कम पानी में भी उगाए जा सकते हैं
- प्राकृतिक खेती के अनुकूल होते हैं
- ग्लूटेन-फ्री और मधुमेह नियंत्रण में मददगार
इसलिए NFSNM के अंतर्गत इनका व्यापक प्रचार-प्रसार और उत्पादन वृद्धि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
पोषण के प्रति राष्ट्रीय प्रतिबद्धता
‘पोषण मिशन’ शब्द को जोड़ने से यह दर्शाता है कि सरकार अब कृषि को केवल आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण से भी जोड़ रही है। इससे जुड़कर:
- स्कूलों में मिड डे मील योजना में श्री अन्न को शामिल किया जा सकता है
- आंगनवाड़ी और पोषण आहार में पौष्टिक अनाजों का उपयोग बढ़ेगा
- बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बेहतर पोषण मिलेगा
योजना की निगरानी और कार्यान्वयन
- राज्य सरकारों को वार्षिक कार्य योजना तैयार करनी होगी
- केंद्र द्वारा फंड रिलीज और मॉनिटरिंग की जाएगी
- फसल बीमा योजना, जैविक खेती और जल संरक्षण कार्यक्रमों से इस योजना का समन्वय किया जाएगा