ग्रामीण भारत में नल से जल क्रांति: जल जीवन मिशन से बदली 12 करोड़ से ज्यादा घरों की तस्वीर
“भारत में जल जीवन मिशन ग्रामीण भारत को एक ऐसी योजना के रूप में देखा जा रहा है, जिसने गांव-गांव में बदलाव की बयार ला दी है। अगस्त 2019 में शुरू हुए इस मिशन ने महज कुछ ही वर्षों में 12.34 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंचा दिया है।“
इस पहल ने न केवल जल संकट को दूर करने में मदद की, बल्कि महिलाओं और बच्चों को पानी के लिए लंबी दूरी तय करने की पीड़ा से भी मुक्त किया है।
2025 तक क्या है लक्ष्य?
31 मार्च 2025 तक भारत के कुल 19.36 करोड़ ग्रामीण घरों में से 15.57 करोड़ से अधिक घरों को नल से जल की सुविधा मिलने लगी है, जो कुल का लगभग 80.38% है।
जब इस मिशन की शुरुआत हुई थी, तब यह आंकड़ा महज 3.23 करोड़ (16.7%) था। यह प्रगति अपने आप में एक मिसाल है।
क्यों जरूरी था जल जीवन मिशन?
जल जीवन मिशन का उद्देश्य केवल पानी पहुंचाना नहीं है, बल्कि इससे जुड़े सामाजिक, स्वास्थ्य और आर्थिक पहलुओं को भी सुलझाना है।
महिलाओं को राहत
पहले गांवों की महिलाएं सुबह-सुबह पानी लाने के लिए दूर तक जाती थीं। अब जब पानी घर पर उपलब्ध है, तो उनका समय और मेहनत दोनों बच रहा है।
बच्चों की शिक्षा
बच्चों, खासकर लड़कियों को भी घरेलू कार्यों में पानी लाने में लगना पड़ता था, जिससे उनकी पढ़ाई बाधित होती थी। अब यह समस्या काफी हद तक हल हो चुकी है।
स्वास्थ्य में सुधार
साफ-सुथरा पानी होने से ग्रामीण इलाकों में बीमारियों में भी कमी आई है। डायरिया, टाइफाइड जैसे रोगों से बचाव हुआ है।
जल जीवन मिशन के मुख्य उद्देश्य
- हर घर तक नल से जल पहुंचाना
- पानी की गुणवत्ता की निगरानी
- सूखाग्रस्त और रेगिस्तानी इलाकों को प्राथमिकता देना
- विद्यालयों, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केंद्रों में नल से जल देना
- स्थानीय समुदाय की भागीदारी बढ़ाना
- जल स्रोतों और जल आपूर्ति प्रणालियों की स्थिरता सुनिश्चित करना
- मानव संसाधनों का विकास: प्लंबिंग, जल गुणवत्ता प्रबंधन, जल संरक्षण आदि
समुदाय आधारित योजना: गांव खुद बनाएं अपने निर्णय
जल जीवन मिशन ग्रामीण भारत को सफल बनाने के लिए समुदायों को योजना में शामिल किया गया है। हर गांव की अपनी जल समिति होती है जो यह तय करती है कि जल आपूर्ति कैसे होगी, निगरानी कैसे होगी और रखरखाव की जिम्मेदारी किसकी होगी।
इससे गांवों में “स्वामित्व की भावना” उत्पन्न होती है और लोग पानी को लेकर अधिक जागरूक होते हैं।
आईईसी गतिविधियों का महत्व
आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) इस मिशन का एक प्रमुख घटक है। इसके जरिए गांवों में जल संरक्षण, साफ पानी की महत्ता और जल स्रोतों की देखरेख की जानकारी दी जाती है।
यह शिक्षा अभियान लोगों को बताता है कि साफ पानी सिर्फ सरकार की नहीं, हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
वित्तीय प्रावधान और मिशन का विस्तार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में जल जीवन मिशन के लिए बजट बढ़ाने की घोषणा की है और इसे 2028 तक विस्तारित किया गया है।
इससे पता चलता है कि सरकार इस योजना को केवल एक लक्ष्य की तरह नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक विकास रणनीति के रूप में देख रही है।
तकनीक और नवाचार का योगदान
मिशन में आधुनिक तकनीकों जैसे सेंसर आधारित निगरानी, मोबाइल ऐप्स, जल गुणवत्ता परीक्षण किट्स आदि का भी प्रयोग हो रहा है। इससे जल आपूर्ति प्रणाली की पारदर्शिता और कार्यक्षमता बढ़ी है।
महिलाओं और समाज को कैसे मिला सशक्तिकरण?
जल जीवन मिशन के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को जल की निगरानी, परीक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों में जोड़ा गया है। इससे उन्हें रोजगार मिला और सामाजिक स्थिति में भी सुधार हुआ।
मिशन का असर: जीवन स्तर में सुधार
- स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
- लड़कियों की स्कूली उपस्थिति में बढ़ोत्तरी
- जलजनित रोगों में कमी
- गांवों की अर्थव्यवस्था में वृद्धि
- पर्यावरण संरक्षण में योगदान
मिशन को जन आंदोलन बनाने की दिशा
इस योजना को जन-जन तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। हर गांव, हर पंचायत में इस मिशन को प्राथमिकता दी जा रही है ताकि जल को लेकर आत्मनिर्भरता आए।