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लातूर में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की आम और अंगूर की फसल को भारी नुकसान

महाराष्ट्र के लातूर जिले में गुरुवार शाम को अचानक बदले मौसम ने किसानों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दीं। लातूर ओलावृष्टि फसल नुकसान का बड़ा उदाहरण बनी है, जहां तेज हवा, मूसलाधार बारिश और ओलों की भीषण मार से किसानों की महीनों की मेहनत चंद मिनटों में बर्बाद हो गई।

इस प्राकृतिक आपदा ने विशेष रूप से आम और अंगूर की फसलों को भारी क्षति पहुंचाई है, वहीं कई इलाकों में टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियों की फसलें भी पूरी तरह प्रभावित हुई हैं।

अचानक मौसम का बदला मिजाज: बारिश और ओले बने तबाही का कारण

गुरुवार शाम करीब छह बजे अचानक आसमान में घने बादल छाए और तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई। इसके कुछ ही देर बाद ओलावृष्टि ने तबाही मचा दी।
लातूर, औसा, निलंगा, लामजना जैसे इलाकों में खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह से ओलों की सफेद चादर में ढंक गईं।

कई किसानों ने बताया कि इतनी तेज ओलावृष्टि उन्होंने वर्षों में पहली बार देखी है। किसान खेतों से ओले हटाने की कोशिश में रात भर परेशान रहे।

आम के बागों को भारी नुकसान, पेड़ झुके, फल गिरे

लातूर ओलावृष्टि फसल नुकसान का सबसे बड़ा असर आम के पेड़ों पर देखा गया।
किसानों के अनुसार, तेज ओलों के कारण पेड़ों की टहनियां झुक गईं और अधिकतर फलों के गिरने से पूरी फसल चौपट हो गई।

किसान हिमायत पटेल ने बताया,

“हमारी आम की पूरी फसल नष्ट हो गई है। ओलों की मार इतनी तेज थी कि खेत में खड़ा होना भी मुश्किल था।”

वहीं, ताहेर अली काझी ने कहा,

“हमारे आम के पेड़ ओलों के भार से झुक गए हैं और लगभग सारे फल गिर चुके हैं। इस साल की सारी उम्मीदें टूट गईं।”

अंगूर और सब्जियों की फसलों को भी हुआ गहरा नुकसान

तेज बारिश और ओलों की वजह से न केवल आम बल्कि अंगूर, टमाटर, बैंगन और दूसरी सब्जियों की फसलें भी प्रभावित हुई हैं।
इन फसलों की संवेदनशीलता को देखते हुए ओलावृष्टि ने उन्हें जड़ों तक नुकसान पहुंचाया है।

खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलों की सड़न की आशंका भी बढ़ गई है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले दिनों में मौसम ऐसा ही रहा, तो और नुकसान हो सकता है।

ओलावृष्टि से नुकसानग्रस्त क्षेत्रों की स्थिति

  • लातूर: आम और अंगूर की फसलें पूरी तरह तबाह
  • औसा: सब्जियों की खेती को भारी नुकसान
  • निलंगा: टमाटर, बैंगन जैसे उत्पादों की बर्बादी
  • लामजना: खेतों में पानी भरने से और नुकसान की आशंका

इन क्षेत्रों में किसानों ने खुद खेतों में जाकर नुकसान का जायजा लिया और प्रशासन से तुरंत सर्वेक्षण (पंचनामा) की मांग की।

किसान कर रहे हैं आर्थिक सहायता की मांग

किसानों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि फसल नुकसान का सर्वे जल्द से जल्द किया जाए और उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
कई किसानों का कहना है कि वे पहले ही कर्ज के बोझ में हैं और अब फसल की बर्बादी ने उनकी स्थिति और खराब कर दी है।

फसल नुकसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर

लातूर ओलावृष्टि फसल नुकसान से सिर्फ खेती नहीं, बल्कि इससे जुड़ी पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है।
फलों और सब्जियों की बिक्री से होने वाली आमदनी पर असर पड़ा है, जिससे मजदूरों, ट्रांसपोर्ट और मंडी व्यापारियों पर भी संकट आ गया है।

विशेषज्ञों की चेतावनी: आगे भी खराब रह सकता है मौसम

कृषि विभाग और मौसम विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में मौसम फिर से खराब हो सकता है।
अप्रैल में ऐसी घटनाएं असामान्य नहीं हैं, लेकिन ओलावृष्टि की तीव्रता और अवधि इस बार अधिक रही है। किसानों को सतर्क रहने और अपने फसलों की सुरक्षा के लिए उपाय करने की सलाह दी जा रही है।

खेतों की स्थिति: सफेद ओलों से ढंके खेत, टूटी टहनियां

कई जगहों से आई तस्वीरों और वीडियो में देखा गया कि खेतों में आम के पेड़ों की टहनियां टूटी हुई हैं, फलों की जगह खाली डालियां नजर आ रही हैं और ज़मीन पूरी तरह सफेद ओलों से ढकी हुई है।

किसान इस हालत में खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास विकल्प बहुत कम हैं। कुछ ने कहा कि उन्हें अगली फसल लगाने की स्थिति भी नहीं रही।

प्रशासन की ओर से त्वरित कार्रवाई की जरूरत

अब तक प्रशासन ने कोई विस्तृत बयान जारी नहीं किया है, लेकिन किसानों की मांग है कि

  • सर्वेक्षण टीमों को तत्काल गांवों में भेजा जाए
  • फसल नुकसान का आंकलन करके राहत राशि जारी की जाए
  • बीमा कंपनियों को निर्देशित किया जाए कि वह क्लेम प्रक्रिया जल्दी शुरू करें

सरकार से आशा: पुनर्वास और समर्थन

किसानों की उम्मीदें सरकार से जुड़ी हैं। वे चाहते हैं कि इस प्राकृतिक आपदा में सरकार उन्हें राहत प्रदान करे और भविष्य में ऐसे नुकसान से बचाव के उपाय सुनिश्चित करे।

विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि बीमा, तकनीकी सलाह और मौसम पूर्वानुमान प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं में नुकसान कम हो।

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