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गौरीकुंड हेलीकॉप्टर हादसा: खराब मौसम बना जानलेवा, सात यात्रियों की मौत

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड क्षेत्र में रविवार सुबह एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। यह हेलीकॉप्टर केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा था, जब यह खराब मौसम के चलते रास्ता भटक गया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

हादसे का समय और स्थान

  • उड़ान समय: सुबह 5:17 बजे
  • स्थान: गौरीकुंड के पास जंगली और पहाड़ी क्षेत्र
  • हेलीकॉप्टर: बेल हेलीकॉप्टर — सुरक्षा और तकनीक के लिहाज से अत्यधिक विश्वसनीय

एविएशन एक्सपर्ट डॉ. सुभाष गोयल ने बताया कि इस दुर्घटना का मुख्य कारण मौसम था, न कि पायलट की गलती या तकनीकी खामी।

अनुभवी पायलट, लेकिन मौसम बना बाधा

हादसे से ठीक पहले पायलट ने संदेश दिया था कि:

“खराब मौसम के कारण मैं हेलीकॉप्टर टर्न कर रहा हूं…”

लेकिन तभी हादसा हो गया। पायलट सेना का पूर्व अधिकारी था और क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों से अच्छी तरह परिचित था।

दुर्घटना में मारे गए सभी सात लोग

इस दुखद दुर्घटना में हेलीकॉप्टर में सवार सभी सात लोग मारे गए।

संभावित कारण:

  • अचानक मौसम खराब होना
  • घनी धुंध और तेज हवा
  • पर्वतीय इलाका होने से दृश्यता की कमी

सरकारी प्रतिक्रिया और जांच के आदेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तत्काल इस मामले को गंभीरता से लेते हुए:

  • मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति बनाई जाए
  • समिति को हेली सेवाओं की पूरी सुरक्षा और तकनीकी समीक्षा करने का आदेश
  • नई SOP (Standard Operating Procedure) तैयार की जाएगी
  • पारदर्शिता और सुरक्षा मानकों के अनुपालन की जांच की जाएगी

एविएशन एक्सपर्ट की राय: बेल हेलीकॉप्टर बहुत सुरक्षित

डॉ. सुभाष गोयल के अनुसार:

“बेल हेलीकॉप्टर अपनी तकनीकी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है। इसमें बार-बार उड़ान भरने और ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए मजबूत क्षमता होती है। यह दुर्घटना किसी तकनीकी खराबी के कारण नहीं, बल्कि मौसम की अनिश्चितता की वजह से हुई।”

केदारनाथ यात्रा में हेली सेवा की भूमिका

  • हर साल हजारों श्रद्धालु हेलीकॉप्टर सेवा के जरिए केदारनाथ यात्रा करते हैं
  • गुप्तकाशी, फाटा, सिरसी से केदारनाथ तक हेलीकॉप्टर सेवाएं चलाई जाती हैं
  • मौसम के मिजाज पर निर्भर रहती है उड़ानें

लेकिन इस दुर्घटना ने हेली सेवाओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या SOP में बदलाव जरूरी है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि:

  • मौसम ट्रैकिंग सिस्टम को और आधुनिक बनाने की जरूरत है
  • उड़ानों की टाइमिंग को मौसम के मिजाज के अनुसार तय किया जाना चाहिए
  • रियल-टाइम मौसम अलर्ट पायलट को मिलते रहें
  • ऐसे रूटों पर डबल चेक सिस्टम और वैकल्पिक लैंडिंग प्लान होना चाहिए

जनता में चिंता और सवाल

हादसे के बाद यात्रियों और उनके परिवारों में भय और असमंजस का माहौल है। लोग पूछ रहे हैं:

  • क्या हेली सेवा इतनी सुरक्षित है कि बारिश के मौसम में भी उड़ान भरी जाए?
  • क्या उड़ानों से पहले मौसम की स्थिति का पूरा विश्लेषण किया जा रहा है?

गौरीकुंड हेलीकॉप्टर हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में हवाई सेवाओं को और अधिक तकनीकी रूप से सक्षम और सुरक्षित बनाना होगा।

राज्य सरकार ने जो जांच समिति बनाई है, वह यदि सही दिशा में कार्य करती है, तो भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि है, और इसके लिए व्यवस्था का सशक्त और पारदर्शी होना जरूरी है।

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