कांग्रेस में किसने कहा कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 बहाल करेंगे? अमित शाह पर झूठ बोलने का आरोप लगाकर भड़के मल्लिकार्जुन खरगे
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली को लेकर एक बार फिर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच हाल ही में इस मुद्दे पर तीखी बयानबाजी देखने को मिली। अमित शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि वह सत्ता में आते ही जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 बहाल करेगी। इस आरोप पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कड़ा जवाब देते हुए अमित शाह को “झूठ बोलने” का आरोप लगाया और स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने कभी इस तरह की बात नहीं कही है।
अमित शाह का बयान: कांग्रेस फिर लाएगी आर्टिकल 370?
कुछ दिनों पहले एक जनसभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, “कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में साफ तौर पर लिखा है कि वे अगर सत्ता में आए, तो जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 फिर से बहाल करेंगे।” उन्होंने जनता को आगाह किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो इससे देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो सकता है।
अमित शाह ने कहा:
“हमने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर कड़ा प्रहार किया और आर्टिकल 370 को खत्म किया। लेकिन कांग्रेस चाहती है कि इसे फिर से लागू किया जाए। वे देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं।”
मल्लिकार्जुन खरगे का पलटवार: “अमित शाह झूठ बोल रहे हैं”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमित शाह के बयान का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह “पूरी तरह से झूठ” है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा झूठे प्रचार और अफवाहों के जरिए देश की जनता को गुमराह कर रही है।
खरगे ने कहा:
“अमित शाह झूठ बोलकर लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस ने कभी अपने घोषणापत्र में आर्टिकल 370 को बहाल करने की बात नहीं की है। भाजपा सिर्फ अपनी नाकामी छिपाने के लिए ऐसे बेबुनियाद आरोप लगा रही है।”
कांग्रेस का रुख: आर्टिकल 370 पर क्या है पार्टी की आधिकारिक स्थिति?
कांग्रेस पार्टी की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को लेकर उनकी पार्टी का रुख बिल्कुल साफ है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “हमने कभी भी आर्टिकल 370 को बहाल करने का वादा नहीं किया है। हमारा मुख्य ध्यान जम्मू-कश्मीर के विकास और वहां के लोगों की भलाई पर है।”
आर्टिकल 370: क्या है विवाद की जड़?
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला आर्टिकल 370 अगस्त 2019 में मोदी सरकार द्वारा रद्द कर दिया गया था। इसके बाद से ही कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर लगातार बयानबाजी होती रही है। भाजपा का कहना है कि आर्टिकल 370 को हटाने से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगी है और क्षेत्र में शांति और विकास के नए युग की शुरुआत हुई है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ उचित परामर्श और सहमति के बिना इसे हटाना वहां के नागरिकों के अधिकारों का हनन है।
विशेषज्ञों की राय: क्यों गरमा रहा है राजनीतिक माहौल?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिकल 370 का मुद्दा आगामी चुनावों से पहले एक बार फिर राजनीतिक एजेंडा बनता दिख रहा है। भाजपा इसे अपनी प्रमुख उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है, जबकि कांग्रेस इस पर सरकार की आलोचना करते हुए राज्य के लोगों की भावनाओं का हवाला दे रही है।
एक राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार:
“चुनाव के समय पार्टियों द्वारा इस तरह के विवादास्पद मुद्दों को उठाना कोई नई बात नहीं है। यह दोनों पक्षों के लिए अपने समर्थकों को जुटाने और ध्रुवीकरण करने का एक तरीका है।”
क्या है जनता की प्रतिक्रिया?
इस मुद्दे पर जनता की भी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोग मानते हैं कि आर्टिकल 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक बदलाव आया है, जबकि कुछ लोग इसे एक संवैधानिक अधिकार का हनन मानते हैं। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ी हुई है, जहां लोग अपनी-अपनी राय रख रहे हैं।