ईद-उल-अजहा: आस्था, त्याग और भाईचारे का पर्व, देशभर में मनाई जा रही है कुर्बानी की ईद
“ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो पूरे देश में श्रद्धा और जोश के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार अल्लाह के प्रति निष्ठा, त्याग और बलिदान की भावना को समर्पित है। हर साल मुस्लिम समुदाय इस दिन हजरत इब्राहीम की कुर्बानी की याद में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ कुर्बानी देता है और समाज में भाईचारा व शांति का संदेश फैलाता है।“
ईद-उल-अजहा के महत्व को नेताओं ने बताया त्याग का प्रतीक
इस पावन अवसर पर देश के कई प्रमुख नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और इसे त्याग, आस्था और सौहार्द का प्रतीक बताया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोशल मीडिया पर संदेश देते हुए कहा कि ईद-उल-अजहा का पर्व बलिदान और अनेक महान आदर्शों का संदेश देता है। उन्होंने सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए समाज और राष्ट्र के लिए समर्पण की भावना के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईद-उल-अजहा की शुभकामनाएं देते हुए इस पर्व को समाज में शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने वाला बताया। उन्होंने देशवासियों के अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की।
अन्य नेताओं के विचार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का संदेश
उन्होंने इस त्योहार को निस्वार्थ त्याग, विश्वास और क्षमा का उत्सव बताया। खड़गे ने भाईचारे को बढ़ावा देने और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण की अपील की।
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव
उन्होंने सभी को इस पर्व की दिली मुबारकबाद दी और समाज में एकता का संदेश देने की बात कही।
बसपा प्रमुख मायावती
मायावती ने देश और विदेशों में बसे सभी भारतीयों को बधाई दी और सुख, शांति और समृद्ध जीवन की शुभकामनाएं दीं।
ईद-उल-अजहा का धार्मिक महत्व
इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कुर्बानी। इस दिन मुस्लिम समाज के लोग हजरत इब्राहीम की उस परीक्षा को याद करते हैं, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने का निर्णय लिया। अल्लाह ने उनकी निष्ठा देखकर उनके बेटे की जगह एक मेमने की कुर्बानी स्वीकार की।
कैसे मनाई जाती है ईद-उल-अजहा
1. नमाज और दुआ
सुबह-सुबह मस्जिदों में ईद की विशेष नमाज अदा की जाती है। इसके बाद लोग एक-दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद देते हैं।
2. कुर्बानी
ईद की नमाज के बाद जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। यह कुर्बानी तीन हिस्सों में बांटी जाती है – एक हिस्सा गरीबों को, एक रिश्तेदारों को और एक स्वयं के लिए।
3. समाज सेवा
इस दिन जरूरतमंदों की सहायता करना और अपने आस-पास के गरीबों को खाना खिलाना भी पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ईद-उल-अजहा में भाईचारे का संदेश
यह पर्व हमें सिखाता है कि धर्म केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि इंसानियत, त्याग और सेवा भाव का नाम है। ईद-उल-अजहा के माध्यम से समाज में आपसी समझ और सौहार्द को बढ़ावा मिलता है।
भारत में त्योहार की झलक
देश के अलग-अलग हिस्सों में ईद-उल-अजहा पारंपरिक अंदाज में मनाई जाती है। दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई जैसे शहरों में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों और ईदगाहों में एकत्र होकर नमाज अदा करते हैं। बाजारों में रौनक रहती है और मिठाइयों की खुशबू वातावरण को खुशनुमा बना देती है।