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ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ला रेजिडेंसिया सोसायटी में मेंटेनेंस शुल्क वृद्धि का विरोध, निवासियों ने बिल्डर के खिलाफ किया प्रदर्शन

ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित ला रेजिडेंसिया सोसायटी के निवासियों ने रविवार को मेंटेनेंस शुल्क में 40 प्रतिशत की वृद्धि का विरोध किया। उनका कहना है कि सोसायटी में सुविधाओं का स्तर पर्याप्त नहीं है और शुल्क वृद्धि को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बिल्डर ने सोसायटी में मूलभूत सुविधाओं को सही से पूरा नहीं किया है, जबकि शुल्क बढ़ा दिया गया है।

बिल्डर पर आरोप

ला रेजिडेंसिया सोसायटी में लगभग 1500 से अधिक परिवार रहते हैं। निवासियों का कहना है कि सोसायटी में कई सुविधाओं की कमी है, जैसे कि हाउसकीपिंग स्टाफ का अभाव, क्लब हाउस और स्विमिंग पूल की सुविधाएं नहीं हैं, और सुरक्षा व्यवस्था भी लचर है। इसके अलावा, सोसायटी में चोरी की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इसके बावजूद, बिल्डर ने मेंटेनेंस शुल्क को 1.5 रुपये से बढ़ाकर 2.10 रुपये प्रति वर्ग फुट कर दिया है, जिससे निवासियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है।

बढ़े हुए शुल्क की वापसी की मांग

रविवार को बढ़े हुए मेंटेनेंस शुल्क की वापसी के लिए निवासियों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया। उन्होंने मेंटेनेंस ऑफिस का घेराव करते हुए बिल्डर के खिलाफ नारेबाजी की। पवन सिंह, एक निवासी ने कहा, “अधूरी सुविधाओं के बावजूद मेंटेनेंस शुल्क में बढ़ोतरी निवासियों को स्वीकार नहीं है।”

बिल्डर का बयान

वहीं, ला रेजिडेंसिया के निदेशक कुलभूषण बजाज ने कहा कि छह वर्षों से सोसायटी में केवल 1.5 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर पर मेंटेनेंस शुल्क लिया जा रहा था। यह शुल्क बेहतर सुविधाओं को प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं था, और प्रबंधन को अपनी जेब से 20 से 25 लाख रुपये प्रति माह खर्च करने पड़ रहे थे। इसके अलावा, चार से पांच करोड़ रुपये का मेंटेनेंस बकाया था। बजाज ने बताया, “सोसायटी में सुविधाओं की कमी न हो, इसके लिए शुल्क बढ़ाना जरूरी था।”

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ला रेजिडेंसिया सोसायटी में बढ़े हुए मेंटेनेंस शुल्क को लेकर निवासियों में नाराजगी है। उनका कहना है कि जब तक सोसायटी में मूलभूत सुविधाएं पूरी नहीं की जातीं, तब तक इस तरह की शुल्क वृद्धि को स्वीकार नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, बिल्डर का कहना है कि बेहतर सुविधाओं के लिए शुल्क में वृद्धि जरूरी थी। इस मुद्दे पर फिलहाल दोनों पक्षों में असहमति बनी हुई है।

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