इमरजेंसी के 50 साल: दिल्ली के सेंट्रल पार्क में प्रदर्शनी, लोकतंत्र की रक्षा की अपील
“25 जून 2025 को भारत में लगाए गए आपातकाल के 50 साल पूरे हुए। इस अवसर पर दिल्ली सरकार द्वारा सेंट्रल पार्क, कनॉट प्लेस में एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य 1975 में लगे आपातकाल के दौरान किए गए लोकतंत्र और मानवाधिकारों के उल्लंघन को जनमानस में पुनः स्मरण कराना था।“
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, और दिल्ली सरकार के मंत्रियों आशीष सूद, कपिल मिश्रा, और मनजिंदर सिंह सिरसा ने किया।
सीएम रेखा गुप्ता का कांग्रेस पर तीखा प्रहार
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इमरजेंसी को भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय बताते हुए कांग्रेस पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“जो लोग आज जेब में संविधान की कॉपियां लेकर घूमते हैं, वही लोग लोकतंत्र की हत्या के जिम्मेदार हैं। इंदिरा गांधी को इस्तीफा देकर माफी मांगनी चाहिए थी। उस समय देश गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से जूझ रहा था, लेकिन सरकार सत्ता बचाने में व्यस्त थी।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह जरूरी है कि युवा पीढ़ी जानें कि कैसे एक लोकतांत्रिक व्यवस्था को कुछ लोगों ने निजी स्वार्थ के लिए कुचल दिया।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा – यह पीढ़ी नहीं भूले अत्याचार
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को शायद इमरजेंसी की भयावहता का अंदाजा नहीं है:
“70 साल से ऊपर की पीढ़ी ने इन अत्याचारों को सहा है। लोकतंत्र का गला घोंटने और मानवाधिकारों को कुचलने वाले दिनों को भुलाया नहीं जा सकता।”
दिल्ली सरकार के मंत्रियों की प्रतिक्रियाएं
आशीष सूद:
“आपातकाल कांग्रेस का असली चेहरा दिखाता है। हजारों लोगों की हत्या हुई, लाखों को जेल में डाला गया और आज तक कोई माफी नहीं मांगी गई।”
कपिल मिश्रा:
“यह प्रदर्शनी देश को याद दिलाएगी कि कैसे सत्ता के लालच में लोकतंत्र को कुचल दिया गया था। हमें इसे भूलना नहीं चाहिए।”
मनजिंदर सिंह सिरसा:
“यह सिर्फ अतीत नहीं, एक चेतावनी है। गांधी परिवार और कांग्रेस आज भी उसी मानसिकता के साथ जी रहे हैं, जो 1975 में दिखी थी।”
इमरजेंसी 1975 – प्रमुख तथ्य
पहलू | विवरण |
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तारीख | 25 जून 1975 – 21 मार्च 1977 |
लागू करने वाला | तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी |
अनुच्छेद | भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 |
गिरफ्तार लोगों की संख्या | लगभग 1 लाख से अधिक |
सेंसरशिप | मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध |
चुनाव | निलंबित |
मौलिक अधिकार | निलंबित/सीमित |
इमरजेंसी के 50 साल बीत जाने के बावजूद, यह घटना भारतीय राजनीति और लोकतंत्र के लिए एक चेतावनी के रूप में बनी हुई है। दिल्ली में आयोजित यह प्रदर्शनी न केवल एक ऐतिहासिक स्मृति है, बल्कि यह एक पीढ़ी को यह याद दिलाने का प्रयास है कि लोकतंत्र की सुरक्षा हर नागरिक की जिम्मेदारी है।